मुख्यमंत्री Chief minister
जिस प्रकार संघ की मंत्रीपरिषद का प्रधान भारत का प्रधानमंत्री होता है, उसी प्रकार राज्य की मंत्रिपरिषद का प्रधान एक मुख्यमंत्री होता है. 1935 ई. के अधिनियम के अंतर्गत, मुख्यमंत्री को भी प्रधानमंत्री की संज्ञा दी गई थी. उस समय केंद्र में प्रधानमंत्री का पद नहीं था.
संविधान के निर्माताओं ने संघ में प्रधानमंत्री के पद का प्रावधान करते हुए राज्यों में मुख्यमंत्री के पद का प्रावधान किया है. कार्य, अधिकार तथा शक्ति की दृष्टि से दोनों में साम्य है. संघ शासन में जो स्थान भारत के प्रधानमंत्री का है, राज्य के शासन में वही स्थान राज्य के मुख्यमंत्री का है. राज्य की कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग मुख्यमंत्री ही करता है, राज्यपाल तो सिर्फ एक सांविधानिक प्रधान है. मुख्यमंत्री का स्थान महत्त्वपूर्ण है.
अनुच्छेद 164 मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह से राज्यपाल द्वारा की जाएगी 91 वां संविधान संशोधन अधिनियम 2003 के द्वारा यह व्यवस्था की गई है कि मंत्रिपरिषद का आकार मुख्यमंत्री सहित विधानसभा की कुल सदस्य संख्या का 15% से अधिक नहीं होगा अर्थात इस संशोधन अधिनियम द्वारा मंत्री परिषद के आकार को सीमित किया गया
लेकिन मंत्री परिषद की सदस्य संख्या 12 से कम नहीं होगी मंत्री राज्यपाल के प्रसादपर्यंत पद पर बने रहेंगे, मंत्रिपरिषद के सदस्यों को राज्यपाल द्वारा शपथ दिलाई जाएगी
मुख्यमंत्री की नियुक्ति ( Chief Minister’s appointment )
- संविधान में मुख्यमंत्री की निर्वाचन के लिए विशेष प्रावधान नहीं है !
- केवल अनुच्छेद 164 में कहा गया है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा इसका तात्पर्य यह नहीं है कि राज्यपाल किसी भी व्यक्ति को मुख्यमंत्री नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र है संसदीय व्यवस्था में राज्यपाल राज्य विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को ही मुख्यमंत्री नियुक्त करता है !
- संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री को विधानमंडल के दोनों सदनों में से किसी एक का सदस्य होना अनिवार्य है !
- सामान्यतः मुख्यमंत्री निचले सदन (विधानसभा) से चुनाव जाता है लेकिन अनेक अवसरों पर उच्च सदन (विधान परिषद) के सदस्य को भी बतौर मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया है !
शपथ, कार्यकाल एवं वेतन
कार्य ग्रहण करने से पूर्व राज्यपाल उसे पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है अपनी शपथ में मुख्यमंत्री कहता है कि:-
- मैं भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और सत्य निष्ठा रखूंगा….
- भारत की प्रभुता और अखंडता बनाए रखूंगा….
- मैं अपने दायित्वों का श्रद्धा पूर्वक और शुद्ध अंतकरण से निर्वहन करुंगा….
- मैं भय या पक्षपात,अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा……
मुख्यमंत्री एवं उसकी मंत्री परिषद का कार्यकाल अनिश्चित होता है यद्यपि यह अधिकतम 5 वर्ष तक पद पर रह सकते हैं इससे पूर्व भी मुख्यमंत्री स्वेच्छा से राज्यपाल को त्याग पत्र दे सकता है ! वह राज्यपाल के प्रसादपर्यंत अपने पद पर रहता है !
यद्यपि इसका तात्पर्य यह नहीं है कि राज्यपाल उसे किसी भी समय बर्खास्त कर सकता है राज्यपाल द्वारा उसे तब तक बर्खास्त नहीं किया जा सकता जब तक उसे विधानसभा में बहुमत प्राप्त है ! लेकिन यदि वह विधानसभा में वह विश्वास खो देता है तो उसे त्यागपत्र देना चाहिए अन्यथा राज्यपाल उसे प्रकाशित कर सकता है !
मुख्यमंत्री के वेतन एवं भत्तों का निर्धारण राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाता है ! राज्य विधानमंडल के प्रत्येक सदस्य को मिलने वाले वेतन भत्तो सहित उसे विषयक भत्ते,निशुल्क आवास, यात्रा भत्ता और चिकित्सा सुविधाएं मिलती है !
मुख्यमंत्री के कार्य एवं शक्तियां ( Chief Minister’s Functions and Powers )
मुख्यमंत्री के कार्य एवं शक्तियों का विवेचन हम निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर कर सकते हैं:-
?मंत्री परिषद के संदर्भ में?
▶मुख्यमंत्री राज्य मंत्री परिषद के मुखिया के रूप में निम्न शक्तियों का प्रयोग करता है:-
- (क) राज्यपाल उन्हीं लोगों को मंत्री नियुक्त करता है जिनकी सिफारिश मुख्यमंत्री ने की हो !
- (ख) वह मंत्रियों के विभागों का वितरण एवं फेरबदल करता है !
- (ग) मतभेद होने पर वह किसी भी मंत्री से त्यागपत्र देने के लिए कह सकता है या राज्यपाल को उसे बर्दाश्त करने के परामर्श दे सकता है !
- (घ) वह मंत्री परिषद की बैठक की अध्यक्षता कर इसके फैसलों को प्रभावित कर सकता है !
- (ड़) वह सभी मंत्रियों के क्रियाकलापों में सहयोग, नियंत्रण, निर्देश और मार्गदर्शन देता है !
- (च) अपने कार्य से त्यागपत्र देकर वह पूरी मंत्रिपरिषद को समाप्त कर सकता है ! चूकिं मुख्यमंत्री मंत्री परिषद् का मुखिया होता है, उसके इस्तीफे पर या मौत के कारण मंत्रिपरिषद अपने आप ही विघटित हो जाती है ! दूसरी और यदि किसी मंत्री का पद रिक्त होता है तो मुख्यमंत्री उसे भर या नहीं भर सकता !
राज्यपाल के संबंध में?
▶राज्यपाल के संबंध में मुख्यमंत्री को निम्नलिखित शक्तियां प्राप्त हैं:-
▶राज्यपाल एवं मंत्रिपरिषद के बीच संवाद का वह प्रमुख तंत्र है मुख्यमंत्री का यह कर्तव्य है कि वह:-
- राज्य के कार्यों की प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्तावना संबंधी मंत्री परिषद के सभी विनिश्चय राज्यपाल को संसूचित करें !!
- राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओ संबंधित जो जानकारी राज्यपाल मांगे, वह दे !
- किसी विषय को जिस पर किसी मंत्री ने निश्चय कर दिया है किंतु मंत्री परिषद ने विचार नहीं किया है, राज्यपाल द्वारा अपेक्षा किए जाने पर परिषद के समक्ष विचार के लिए रखें !
- वह महत्वपूर्ण अधिकारियों जैसे, महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों और राज्य निर्वाचन आयुक्त आदि की नियुक्ति के संबंध में राज्यपाल को परामर्श देता है !
राज्य विधानमंडल के संबंध में ?
▶सदन के नेता के नाते मुख्यमंत्री को निम्नलिखित शक्तियां प्राप्त है:-
1. वह राज्यपाल को विधानसभा का सत्र बुलाने एवं उसे स्थगित करने के संबंध में सलाह देता है !
2. वह राज्यपाल को किसी भी समय विधान सभा विघटित करने की सिफारिश कर सकता है !
3. वहां सभा पटल पर सरकारी नीतियों की घोषणा करता है !
अन्य शक्तियां एवं कार्य ?
- वह राज्य योजना बोर्ड का अध्यक्ष होता है !
- वह संबंधित क्षेत्रीय परिषद के क्रमवार उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करता है एक समय में इसका कार्यकाल 1 वर्ष का होता है !
- वह अंतर राज्य परिषद और राष्ट्रीय विकास परिषद का सदस्य होता है इन दोनों परिषदों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है !
- वह राज्य सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है !
- आपातकाल के दौरान राजनीतिक स्तर पर वह मुख्य प्रबंधक होता है !
- राज्य का नेता होने के नाते वह जनता के विभिन्न वर्गों से मिलता है और उनकी समस्याओं आदि से संबंधित ज्ञापन प्राप्त करता है !
- वह सेवाओं का राजनीतिक प्रमुख होता है !
? राज्यपाल के साथ संबंध ?
अनुच्छेद 163?
(क) जिन बातों में इस संविधान द्वारा या इसके अधीन राज्यपाल से यह अपेक्षित है कि वह अपने कर्तव्य उनमें से किसी को अपने विवेकानुसार करें उन बातों को छोड़कर राज्यपाल को अपने कार्यो का प्रयोग करने में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका प्रधान मुख्यमंत्री होगा !
अनुच्छेद 164?
- मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर ही करेगा !
- मंत्री राज्यपाल के प्रसादपर्यंत अपना पद धारण करेंगे !
- मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी राज्य विधानसभा के प्रतियोगी
अनुच्छेद 167?
मुख्यमंत्री का कर्तव्य है कि वह:-
- राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्तावना व संबंधी मंत्री परिषद के सभी विनिश्चय राज्यपाल को संसूचित करें
- राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी और विधान विषय प्रस्थापनाओ संबंधी जानकारी राज्यपाल मांगे,वह दे !
योग्यता
25 वर्ष की आयु प्राप्त होनी चाहिए। मुख्यमंत्री पद के लिए संविधान में कोई योग्यता विहित नहीं की गयी है, लेकिन मुख्यमंत्री के लिए यह आवश्यक है कि वह राज्य विधानसभा का सदस्य हो। राज्य विधानसभा का सदस्य न होने वाला व्यक्ति भी मुख्यमंत्री पद पर नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि वह 6 मास के अन्तर्गत राज्य विधानसभा का सदस्य निर्वाचित हो जाये।
21 सितम्बर, 2001 को उच्चतम न्यायालय के एक निर्णय के अनुसार किसी सज़ायाफ़्ता को मुख्यमंत्री पद के लिए अयोग्य माना जाएगा
कर्तव्य तथा अधिकार
मुख्यमंत्री के कर्तव्य तथा अधिकार निम्नलिखित हैं–
- वह राज्य के शासन का वास्तविक अध्यक्ष है और इस रूप में वह अपने मंत्रियों तथा संसदीय सचिवों के चयन, उनके विभागों के वितरण तथा पदमुक्ति और लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों एवं महाधिवक्ताऔर अन्य महत्त्वपूर्ण पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए राज्यपाल को परामर्श देता है।
- राज्य में असैनिक पदाधिकारियों के स्थानान्तरण के आदेश मुख्यमंत्री के आदेश पर जारी किये जाते हैं तथा वह राज्य की नीति से सम्बन्धित विषयों के सम्बन्ध में निर्णय करता है।
- वह राष्ट्रीय विकास परिषद में राज्य का प्रतिनिधित्व करता है।
- मुख्यमंत्री परिषद की बैठक की अध्यक्षता करता है तथा सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धान्त का पालन करता है। यदि मंत्रिपरिषद का कोई सदस्य मंत्रिपरिषद की नीतियों से भिन्न मत रखता है, तो मुख्यमंत्री उसे त्यागपत्र देने के लिए कहता है या राज्यपाल उसे बर्ख़ास्त करने की सिफ़ारिश कर सकता है।
- वह राज्यपाल को राज्य के प्रशासन तथा विधायन सम्बन्धी सभी प्रस्तावों की जानकारी देता है।
- यदि मंत्रिपरिषद के किसी सदस्य ने किसी विषय पर अकेले निर्णय लिया है, तो राज्यपाल के कहने पर उस निर्णय को मंत्रिपरिषद के समक्ष विचारार्थ रख सकता है।
- वह राज्यपाल को विधानसभा भंग करने की सलाह देता है।
मुख्यमंत्री के कार्य
- मुख्यमंत्री का प्रथम कार्य मंत्रिपरिषद का निर्माण करना है.
- वह मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या निश्चित करता है और उसके लिए नामों की एक सूची तैयार करता है.
- उसे अपने दल के प्रभावशाली व्यक्तियों, राज्य के विभिन्न भागों तथा सम्प्रदायों के प्रतिनिधियों को मंत्रिपरिषद में सम्मिलित करना पड़ता है.इसके अतिरिक्त, उसे अपने दल की कार्यकारिणी समिति का भी परामर्श लेना पड़ता है.
- उस दल के कुछ वयोवृद्ध अनुभवी व्यक्तियों तथा नवयुवकों को भी मंत्रिपरिषद में सम्मिलित करना पड़ता है*.
- वास्तविक शासक होता है. यहाँ तक कि राज्यपाल कोई भी कार्य मुख्यमंत्री के विश्वास तथा सम्मान का पात्र बनकर ही कर सकता है.
मुख्यमंत्री से संबंधित अनुच्छेद एक नजर में.
- अनुच्छेद 163- मंत्री परिषद द्वारा राज्यपाल को सहायता एवं सलाह देना !
- अनुच्छेद 164 – मंत्रियों से संबंधित अन्य प्रावधान
- अनुच्छेद 166- राज्य सरकार द्वारा कार्यवाही संचालन
- अनुच्छेद 167 – राज्यपाल को सूचना प्रदान करने से संबंधित मुख्यमंत्री के दायित्व
राजस्थान के प्रमुख मुख्यमंत्री ( Chief Minister of Rajasthan )
1. श्री हीरालाल शास्त्री- राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री
- शास्त्री के नेतृत्व में प्रथम लोकप्रिय(उत्तरदायी )सरकार बनी।
- 26जनवरी,1950 तक इनका पदनाम प्रधानमंत्री था,फिर मुख्यमंत्री हो गया।
2. श्री जयनारायण व्यास
- जन्म जोधपुर में हुआ।
- इन्हें 1948 में जोधपुर रियासत की लोकप्रिय सरकार का मुख्यमंत्री बनाया गया था।
- इनके कार्यकाल मे जनवरी ,1952 में प्रथम आम चुनाव हुये।
- इन्होंने दो जगह से चुनाव लड़ा ,लेकिन दोनों जगह से हार गये।
3. श्री टिकराम पालीवाल
- प्रथम विधानसभा चुनावों के बाद प्रथम लोकतांत्रिक सरकार बनी व पालीवाल प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री बने।
4. श्री मोहनलाल सुखाड़िया
- सुखाड़िया मंत्रिमंडल में कमला बेनीवाल को उपमंत्री के रूप में शामिल किया गया।
- वे 1954 में राज्य की पहली महिला मंत्री बनी थी।
- श्री सुखाड़िया सर्वाधिक लंबी अवधि व चार बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे।
5. श्री बरकतुल्ला खां-
- राज्य के पहले व एकमात्र अल्पसंख्यक मुख्यमंत्री।
- बरकतुल्ला का कार्यकाल के दौरान ही 11अक्टूबर 1973 को निधन ।
- ये भारत-पाक युद्ध(1971) के दौरान ये मुख्यमंत्री थे।
6. श्री हरिदेव जोशी-
- इनके कार्यकाल के दौरान 25 जून,1975 को आपातकाल लागू हुआ।
7. श्री भैरोसिंह शेखावत
- राज्य के प्रथम गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री।
- पहली बार गैर कांग्रेसी दल(जनता पार्टी ) को स्पष्ट बहुमत मिला।
- शेखावत सरकार को समय से पुर्व भंग कर राष्ट्रपति शासन (17.02.1980-05.06.1980) लागू किया गया।
- प्रथम मध्यावधि चुनाव हुये।
8. श्री जगन्नाथ पहड़िया
- राज्य के प्रथम अनुसूचित जाति से बने प्रथम मुख्यमंत्री।
9. श्री हीरालाल देवपुरा–
श्री देवपुरा सबसे कम अवधि(मात्र 16 दिन)के लिए मुख्यमंत्री रहे।
10. श्री अशोक गहलोत-
इनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 11 वी विधानसभा चुनाव में अब तक सर्वाधिक सीटे(153) जीती।
11. श्रीमती वधुन्धरा राजे
- प्रथम व अब तक कि एकमात्र ।महिला मुख्यमंत्री ।
- 2003 में राज्य में पहली बार भाजपा की स्पष्ट बहुमत वाली सरकार बनी।
- दूसरी बार 1 दिसम्बर 2013 को 14 वी विधानसभा के चुनावों में प्रचण्ड बहुमत(163 सीटे ) प्राप्त कर श्रीमति राजे दूसरी बार महिला मुख्य_मंत्री बनी।।
12 श्री अशोक गहलोत
यह राज के 3 बार मुख्य_मंत्री बने हे