Government’s Part
Government’s Part (कार्यपालिका, व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका)
व्यवस्थापिका
सरकार राज्य का एक अनिवार्य तत्व है।सरकार के रूप में ही राज्य एवं उसकी प्रभुत्व शक्ति को मूर्त रूप मिलता है। इसे राज्य की आत्मा कहा जाता है। सरकार राज्य का वह यन्त्र है जिसके ऊपर राज्य के कानून बनाने ,उन्हें क्रियान्वित करने तथा उसकी व्याख्या करने का दायित्व है।
गार्नर का कथन है- “सरकार एक ऐसा संगठन है जिसके द्वारा राज्य अपनी इच्छा को प्रकट करता है, अपने आदेशो को जारी करता है तथा अपने कार्यो को करता है ।”
- कानून बनाना –व्यवस्थापिका
- कानून को लागू करना–कार्यपालिका
- कानून की व्याख्या करना–न्यायपालिका
सरकार के कार्यो का यह विभाजन शक्ति-पृथ्थकरण सिद्धान्त के आधार पर किया गया है। शक्ति-पृथ्थकरण का आधार संरचनात्मक है।व्यवस्थापिका को राष्ट्र का दर्पण,जन इच्छा का मूर्त रूप, शिकायतों की समिति कहा है। इंग्लैंड और भारत मे व्यवस्थापिका को संसद कहा जाता है।
जापान में डायट, अमेरिका में कांग्रेस, चीन में राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस, स्विट्जरलैंड में राष्ट्रीय सभा कहा जाता है।
व्यवस्थापिका के कार्य व शक्तियां
- कानून का निर्माण
- कार्यपालिका पर नियंत्रण
- वित्त पर नियंत्रण
- न्यायिक कार्य
- निर्वाचन सम्बंधित कार्य
- संविधान में संशोधन करना
- विदेश नीति पर नियंत्रण
- सार्वजनिक शिकायतों की अभिव्यक्ति का मंच
न्यापालिका
भारत में उच्च न्यायालय संस्था का सर्वप्रथम गठन सन 1862 में हुआ जब कलकत्ता, बम्बई, मद्रास उच्च न्यायालयों की स्थापना हुई। सन 1866 में चौथे उच्च न्यायालय की स्थापना इलाहाबाद में हुई।
भारत के संविधान में प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय की व्यवस्था की गई है लेकिन 7 वें संशोधन अधिनियम अधिनियम 1956 में संसद को अधिकार दिया गया कि वह दो या दो से अधिक राज्यों एवं एक संघ राज्य क्षेत्र के लिए एक साझा उच्च न्यायालय की स्थापना कर सकती है।
इस समय देश में 24 उच्च न्यायालय हैं ( सन 2013 में तीन उत्तर पूर्वी राज्यों मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा मैं अलग उच्च न्यायालयों की स्थापना के कारण है इनकी संख्या 24 हो गई )। इनमें से तीन साझा उच्च न्यायालय हैं। केवल दिल्ली ऐसा संघ राज्य क्षेत्र है जिसका अपना उच्च न्यायालय ( 1966 से ) है। दिल्ली के अलावा अन्य संघ राज्य क्षेत्र विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायिक क्षेत्र में आते हैं। ?
संसद एक उच्च न्यायालय के न्यायिक क्षेत्र का विस्तार, किसी संघ राज्य क्षेत्र में कर सकती है अथवा किसी संघ राज्य क्षेत्र को एक उच्च न्यायालय के न्यायिक क्षेत्र से बाहर कर सकती है।
संविधान के भाग 6 में अनुच्छेद 214 से 231 तक न्यायालयों के गठन, स्वतंत्रता, न्यायिक क्षेत्र, शक्तियां, प्रक्रिया आदि के बारे में बताया गया है।
उच्च न्यायालय से सम्बंधित अनुच्छेद (अनुच्छेद 214- 232)
- अनु. 214- राज्यों के लिए उच्च न्यायालय
- अनु. 215- उच्च न्यायालय अभिलेखों के न्यायालय के रूप में
- अनु. 216- उच्च न्यायालय का गठन
- अनू. 217- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद के लिए नियुक्ति तथा दशाएं
- अनु. 218- उच्च न्यायालय में उच्चतम न्यायालय से संबंधित कतिपय प्रावधानों का लागू होना
- अनु. 219- उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का शपथ ग्रहण
- अनु. 220- स्थायी न्यायाधीश बहाल होने के बाद प्रैक्टिस पर प्रतिबंध
- अनु. 221- न्यायाधीशों का वेतन इत्यादि
- अनु. 222- किसी न्यायाधीश का एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय में स्थानांतरण
- अनु. 223- कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति
- अनुच्छेद 224- अतिरिक्त एवं कार्यवाहक न्यायाधीशों की नियुक्ति
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