मानव विकास सूचकांक
किसी भी देश की जनता (मानवीय संसाधन) ही उस राष्ट्र के वास्तविक धन तथा सम्पति होते हैं| प्रत्येक देश अपने मानव संसाधनों का विकास तथा मानव कल्याण करना चाहता हैं| 1990 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ के एक निकाय संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा मानव विकास रिपोर्ट का प्रकाशन किया|
इस रिपोर्ट ने आर्थिक विकास को मानव विकास के साथ स्पष्ट रूप से सबन्धित किया| इस रिपोर्ट में मानवीय विकास की अवधारणा की व्याख्या करते हुए बताया गया कि “यह वह प्रक्रिया है। जिसके द्वारा जनसामान्य के विकल्पों के विस्तार किया जाता है और इनके द्वारा उनके कल्याण के उन्नत स्तर को प्राप्त किया जाता हैं| यही मानवीय विकास की धारणा का मूल हैं||
इसकी स्थापना सबसे पहले पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब-उल-हक और इसके बाद अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन द्वारा (1995) में की गई थी जिसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रकाशित किया गया था।
उन्होंने HDI की गणना हेतु तीन महत्वपूर्ण सामाजिक सूचकों को आधार बनाया| ये तीनों सूचक HDI के घटक है-
- एक लंबे और स्वस्थ जीवन के माप के लिए जन्म पर “जीवन प्रत्याशा” (Life-Expectancy)|
- ज्ञान (शैक्षणिक उपलब्धियां) जिसके माप के लिए प्रौढ़ साक्षरता दर (दो-तिहाई भार) और समग्र प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक कुल नामांकन अनुपात (एक-तिहाई भार)|
- क्रय शक्ति समायोजित प्रति व्यक्ति आय (PCI) जो जीवन-निर्वाह का स्तर प्रदर्शित करता है|
मानवीय विकास सूचकांक का परिकलन करने से पूर्व, इन तीनों चरों के लिये अलग-अलग सूचक तैयार किये जाते हैं| इस उद्देश्य के लिए अधिकतम व न्यूनतम मूल्यों का प्रत्येक सूचक के लिए चुनाव किया जाता हैं|
HDI का अधिकतम मूल्य 1 के बराबर होता है तथा इसका मूल्य 0-1 के मध्य होता है|
सूचकांकों के प्रकार ( Types of indices )
पूरी दुनिया के लोगों के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक विकास को मापने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा विभिन्न प्रकार के सूचकांकों का निर्माण किया गया है। इन सूचकांकों में लैंगिक असमानता सूचकांक, मानव विकास सूचकांक, बहुआयामी गरीबी सूचकांक और प्रौद्योगिकी उपलब्धि सूचकांक शामिल हैं।
- लैंगिक असमानता सूचकांक (Gender Inequality Index- GII)
- बहुआयामी गरीबी सूचकांक ( Multidimensional poverty index- MPI)
- तकनीकी उपलब्धि सूचकांक ( Technical achievement index-TAI)
- मानव विकास सूचकांक ( Human Development Index-HDI)
1. बहुआयामी गरीबी सूचकांक ( Multidimensional poverty index- MPI)
बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) को 2010 में ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव तथा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा विकसित किया गया था। ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (OPHI) ग्लोबल मल्टी डायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स MPI 2017 नामक नई रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के बहुआयामी गरीबी के शिकार बच्चों में से करीब 31 % बच्चे भारत में निवास करते हैं
103 देशों में यह गए सर्वे के आधार पर देखा जाए तो विश्व के 689 मिलियन गरीब बच्चों में से 31% बच्चे भारत में निवास करते हैं इसके बाद नाइजीरिया में 8% इथोपिया में 7% पाकिस्तान में 6% बच्चे ऐसी स्थिति में जीवन यापन करते हैं
यह आय-आधारित सूचियों से परे गरीबी का निर्धारण करने के लिए विभिन्न कारकों का उपयोग करता था। इसने पुराने मानव गरीबी सूचकांक का स्थान लिया है।
एमपीआई एक तीव्र बहुआयामी गरीबी की सूची है। यह प्रर्दर्शित करती है कि लोग कई मुद्दों पर गरीब हैंI यह लोगों के लिए बहुत ही मामूली सेवाओं और महत्वपूर्ण मानव कामकाज के अभाव को दर्शाता है।
देश में कुल 21.7 करोड़ बच्चों में से 49.9 % बहुआयामी रूप से गरीब है यह सर्वेक्षण 2011 -12के भारतीय मानव विकास सर्वेक्षण पर आधारित है भारत के लिए चिंता का विषय है की भारत सर्वाधिक गरीब लोगों की संख्या वाला देश है
मानव विकास सूचकांक की गणना करने के लिए इस तीन मापदंडों का प्रयोग किया जाता है:-
(I) जीवन प्रत्याशा
(ii) शिक्षा
(iii) रहने का जीवन स्तर (Stand
2. तकनीकी उपलब्धि सूचकांक (Technological Achievement Index (TAI)
प्रौद्योगिकी उपलब्धि सूचकांक (टीएआई) का प्रयोग यूएनडीपी (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) द्वारा देश के तकनीकी उन्नति और प्रसार को मापने तथा एक मानव कौशल के आधार का निर्माण, नेटवर्क युग की प्रौद्योगिकीय नवाचारों में भाग लेने की क्षमता को दर्शाता है।
टीएआई तकनीकी क्षमता के चार आयामों पर केंद्रित है:-
(I) प्रौद्योगिकी का निर्माण
(ii) हाल ही में नवाचारों के प्रसार
(iii) पुराने नवाचारों का प्रसार
(iv) मानव कौशल।
प्रौद्योगिकी सृजन: प्रति व्यक्ति निवासियों के लिए दिए गए पेटेंट की संख्या और विदेशों से प्रति व्यक्ति रॉयल्टी तथा लाइसेंस फीस की प्राप्तियों द्वारा मापा जाता है।
नये नवाचारों का प्रसार:- प्रति व्यक्ति इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या और निर्यात के कुल माल में उच्च प्रौद्योगिकी और मध्यम प्रौद्योगिकी निर्यात की हिस्सेदारी से मापा जाता है।
पुराने नवाचारों का प्रसार:- प्रति व्यक्ति टेलीफोन (मुख्य लाइन और सेलुलर) और प्रति व्यक्ति बिजली की खपत द्वारा मापा जाता है।
मानव कौशल:- 15 वर्ष तक की आयु वर्ग कितनी आवादी स्कूल जाने वालों की स्कूली आबादी और पुराने तथा सकल तृतीयक विज्ञान नामांकन अनुपात द्वारा मापा जाता है।
3. लैंगिक असमानता सूचकांक (Gender Inequality Index- GII)
(GII) एक नया सूचकांक है जिसकी शुरूआत लिंग असमानता की माप के लिए 2010 में मानव विकास रिपोर्ट की 20वीं वर्षगांठ संस्करण के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा की गयी थी। UNDP के अनुसार, यह सूचकांक उन सभी की तत्वों की गणना करता है जिनकी वजह से देश की छवि को नुकसान पहुंचता हैंI
इसकी गणना करने के लिए तीन आयामों का उपयोग किया जाता है:-
- प्रजनन स्वास्थ्य
- अधिकारिता
- श्रम बाजार भागीदारी
पिछली कमियों को दूर करने के लिए नए सूचकांक को एक प्रयोगात्मक रूप में पेश किया गया है ये सूचकांक हैं,लिंग विकास सूचकांक (जीडीआई) और लिंग सशक्तिकरण उपाय (जीईएम), दोनों की शुरूआत 1995 की मानव विकास रिपोर्ट में की गई।
प्रजनन स्वास्थ्य के जीआईआई के दो संकेतक हैं-
- मातृत्व मृत्यु दर (Maternal mortality rate- MMR)
- किशोर प्रजनन दर (AFR)
सशक्तिकरण आयाम को दो संकेतकों द्वारा मापा जाता है:-
- प्रत्येक लिंग (सेक्स) के लिए आरक्षित की गई संसदीय सीटों का हिस्सा.
- उच्च शिक्षा प्राप्ति का स्तर।
श्रम बाजार आयाम की गणना कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी से की जाती है। इस आयाम में कार्य भुगतान, अवैतनिक काम और सक्रिय रूप से कार्य की तलाश शामिल है।
4. मानव विकास सूचकांक ( Human Development Index-HDI)
मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और जीवन स्तर का समग्र आंकड़ा है जो मानव विकास के चार स्तरों में देशों के रैंक का सूचकांक प्रदर्शित करता है। इसकी स्थापना 1990 में सबसे पहले पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब-उल-हक और इसके बाद अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन द्वारा (1995) में की गई थी जिसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रकाशित किया गया था।
2010 की मानव विकास रिपोर्ट में यूएनडीपी ने मानव विकास सूचकांक की गणना करने के लिए एक नई विधि का उपयोग शुरू किया।
इसमें निम्नलिखित तीन सूचकांकों का प्रयोग किया जा रहा है:-
- जीवन प्रत्याशा सूचकांक
- शिक्षा सूचकांक: इसमें शामिल हैं विद्यालय में बिताये औसत वर्ष, विद्यालय में बिताये अनुमानित औसत वर्ष
- आय सूचकांक (जीवन स्तर)
इस सूचकांक की गणना 10 संकेतकों द्वारा की जाती है।
- आयाम (Dimensions)
- संकेतक (indicator)
- स्वास्थ्य , बाल मृत्यु दर, पोषण
- शिक्षा
- स्कूल के वर्ष बच्चे नामांकित
- जीवन स्तर
- रसोई गैस
- शौचालय
- पानी, बिजली
- फ्लोर, संपत्ति
2010 में HDI का नया आधार ( The new base of HDI in 2010 )
मानव विकास सूचकांक की पूर्ववर्ती अवधारणा में स्वस्थ जीवन, शिक्षा तथा आय में HDR 2010 में संशोधन किया गया है।
- (अ) नये HDR 2010 में साक्षरता के स्थान पर स्कूल में बिताए जाने वाले औसत वर्षों को लिया गया है। पहले जहां सकल नामांकन लिया जाता था, अब उसके स्थान पर स्कूल में बताए जाने वाले प्रत्याशित वर्षों को लिया जाता गया है|
- (ब) पहले HDR के संकेतक के रूप में जीवन निर्वाह के स्तर को प्रदर्शित करने के लिए “प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद” (जीडीपी) को लेते थे अब इसके स्थान पर प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI) को लिया गया है|
- (स) अब HDI तीन सूचकांकों जीवन प्रत्याशा सूचकांक (I Life), शिक्षा सूचकांक (I Edu.) तथा GNI सूचकांक का गुणोत्तर औसत है, सामान्य औसत नहीं है|
जबकि प्रारम्भ में यह तीनों सूचकों का समान्तर माध्य (औसत) होता था| जिस देश में जीवन प्रत्याशा अधिक होती है, शिक्षा का स्तर ऊंचा होता है एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सबकी पहुंच हो तथा लोगों की जीवन प्रत्याशा अधिक हो तो उस देश का HDI भी अधिक होता हैं|
रिपोर्ट – संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Program-UNDP)
आधार-
- 1 शिक्षा – साक्षरता अनुपात
- 2 स्वास्थ्य – औसत आयु प्रत्याशा
- 3 जीवन स्तर- प्रति व्यक्ति वास्तविक GNP
जनक – डाॅ यहबूब-उल-हक( पाक )( आर्थिक सलाहकार UNO महासचिव )
1st रिपोर्ट = 1990 मे जारी की गई थी
रिपोर्ट 2016
- 1 नार्वे
- 2 आस्ट्रेलिया
- 3 स्विटजरलैंड
- 131 भारत
भारत और मानव विकास सूचकांक (India and human development index)
मानव विकास सूचकांक
भारत मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में दुनिया के 188 देशों की सूची में 131वें स्थान पर है। एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश भारत इस मामले में पाकिस्तान, भूटान और नेपाल जैसे दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों की श्रेणी में शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार 63 प्रतिशत भारतीय 2014-15 में अपने जीवन-स्तर को लेकर ‘संतुष्ट’ बताये गये हैं।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम सालाना आधार पर रिपोर्ट जारी करता है।
भारत मध्यम मानव विकास’ श्रेणी में ( India in the medium human development category )
भारत का 131वां स्थान इसे ‘मध्यम मानव विकास’ श्रेणी में रखता है जिसमें बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान, केन्या, म्यांमा और नेपाल जैसे देश शामिल हैं। भारत का एचडीआई रैंक मूल्य 2015 में 0.624 रहा जो 2010 में 0.580 था। रिपोर्ट के मुताबिक इसमें जीवन प्रत्याशा 2015 में 68.3 रही। प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 5,663 डालर रही।
सुरक्षित महसूस करने की धारणा के आधार पर 69 प्रतिशत ने ‘हां’ में जवाब दिया। विकल्प की आजादी के मामले में 72 प्रतिशत महिला प्रतिभागियों ने संतुष्टि जतायी जबकि पुरूषों के मामले में यह 78 प्रतिशत था।
रिपोर्ट के अनुसार भारत ने जीवन संतुष्टि के मामले में 1-10 के पैमाने पर 4.3 अंक प्राप्त किया।