Indian Agriculture
Indian Agriculture (भारत की कृषि )
भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां की लगभग 52 प्रतिशत आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं |
वर्ष 2012 -13 में देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद का 14 .1% योगदान कृषि का है|
यहां कुल क्षेत्रफल का लगभग 45% भाग शुद्ध बोया गया क्षेत्र है|
भारत की जलवायु विशेषकर तापमान वर्षभर कृषि उत्पादन के अनुकूल रहता है जलवायु की विविधता के कारण भारत में उष्ण उपोषण शीतोष्ण सभी फसलें उगाई जाती हैं|
भारत की फसलों
भारत में कुल कृषि भूमि के लगभग 75% भाग पर खाद्यान्न फसलें उगाई जाती हैं
शेष 25% भाग वाणिज्यिक फसलों के अधीन है विनिर्माण क्षेत्र में उत्पन्न आय का 50% कृषि से ही प्राप्त होता है|
भारतीय कृषि जीवन निर्वाह प्रकृति की है क्योंकि भारतीय किसान अनाज का उत्पादन स्वयं परिवार के उपभोग के लिए करते हैं |यहां जनसंख्या का उच्च दबाव है उदाहरणस्वरूप प्रति व्यक्ति कृषि भूमि 10 हेक्टेयर है जबकि विश्व में 4 .5 हेक्टेयर है| 50% से अधिक कृषि वर्षा आधारित है| जिससे मिश्रित खेती का होना सामान्य ह यहां की कृषि श्रम गहन होते हुए भी निम्न उत्पादकता वाली भी है
भारतीय कृषि को मौसम पर आधारित तीन फसली मौसमों में बांटा गया है
1 रवि फसल ( Rabi crop )
– शीत ऋतु की फसलें रबी कहलाती है। इन फसलों की बुआई के समय कम तापमान तथा पकते समय खुश्क और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है।
फसलें सामान्यता अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती हैं और मार्च-अप्रैल में काट ली जाती हैं इसके अंतर्गत प्रमुख फसलें गेहूं, जो, चना, मटर, सरसों,राई बरसीम, आलू, मसूर, लुसर्न, आदि।
2 खरीफ फसल ( Kharif crop )-
यह वर्षाकाल की फसलें है इन फसलों को बोते समय अधिक तापमान एवं आर्द्रता तथा पकते समय शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है। जो दक्षिण पश्चिम मानसून के प्रारंभ के साथ बोई जाती हैं और सितंबर अक्टूबर तक काट ली जाती हैं
इसके अंतर्गत ज्वार, बाजरा, धान, मक्का, मूंग, सोयाबीन, लोबिया, मूंगफली, कपास, जूट, गन्ना, तम्बाकू, आदि।
3 जायद फसल ( Zayed crop )- एक अल्पकालिक ग्रीष्म ऋतु की फसल है जो रबी एवं खरीफ के मध्यवर्ती काल में मार्च में बोकर जून तक ले जाती है इस वर्ग की फसलों में तेज गर्मी और शुष्क हवाएँ सहन करने की अच्छी क्षमता होती हैं।
इसमें सिंचाई की सहायता से सब्जियों तथा खरबूजा, ककड़ी, खीरा, करेला, की कृषि की जाती है एवम,मूंग, उड़द, कुल्थी दलहनी फसलें उगाई जाती हैं इसे दो श्रेणी में रखा जाता है
जायद खरीफ:
- बीज लगाने का समयः अगस्त से सितम्बर
- फसलों की कटाई का समयः दिसंबर से जनवरी
- प्रमुख फसलें: धान, ज्वार, रेप्सीड, कपास, तिलहन, आदि।
जायद रबी:
- बीज लगाने का समयः फरवरी से मार्च
- फसलों की कटाई का समयः अप्रैल से मई
- प्रमुख फसलें: खरबूजा, तरबूज, ककड़ी, मूंग, लोबीया, पत्तेदार सब्जियां, आदि।
4. व्यापारिक फसलें ( Trading crops )
वे फसलें जिन्हें उगाने का मुख्य उद्देश्य व्यापार करके धन अर्जित करना होता है। जिसे किसान या तो संपूर्ण रूप से बेच देते हैं या फिर आंशिक रूप से उपयोग करते है तथा शेष बड़ा हिस्सा बेच देते हैं। मुख्य व्यापारिक फसलें इस प्रकार हैं:-
- तिलहन: मूंगफली, सरसों, तिल, अलसी, अण्डी, सूर्यमुखी।
- शर्करा वाली फसलें: गन्ना, चुकन्दर।
- रेशे वाली फसलें: जूट, मेस्टा, सनई और कपास।
- उद्दीपक फसलें: तम्बाकू।
- पेय फसलें: चाय और कहवा।
भारतीय कृषि के प्रकार ( Types of Indian Agriculture )
1 निर्वाह कृषि ( Subsistence farming )
भारत के अधिकांश किसान अनाज का उत्पादन स्वयं परिवार के उपयोग के लिए करते हैं इस पद्धति में किसानों द्वारा छोटी-छोटी कृषि भूमि पर अपने परिवार के सदस्य एवं भारवाहक पशुओं की सहायता से पुराने तरीके एवं उपकरणों से कृषि की जाती हैं
2 स्थानांतरित कृषि ( Transferred farming )
इस प्रकार की कृषि भारत में असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ एवं आंध्र प्रदेश में मुख्यता की जाती है इसमें हस्तनिर्मित उपकरणों द्वारा सूखा धान मक्का बाजरा आदि की कृषि की जाती है
3 व्यापारिक कृषि ( Trading agriculture )
जब कृषि नई तकनीकों सिंचाई उन्नत बीज रासायनिक उर्वरक कीटनाशक एवं कृषि यंत्रों के प्रयोग द्वारा की जाती है तो उसे व्यापारिक कृषि कहते हैं इस प्रकार की कृषि पंजाब हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सुनिश्चित सिंचाई विभाग में शुरू की गई है इसे पूंजीवादी कृषि भी कहते हैं
4 रोपण कृषि ( Plantation farming )
भारत में इसके अंतर्गत मुख्य चाय, कहवा, रबड़, मसालों की कृषि की जाती हैं यह कृषि मुख्य रूप से असम, पश्चिम बंगाल का पर्वतीय भाग, दक्षिण में नीलगिरी अन्नामलाई, इलायची की पहाड़ियों पर की जाती है
भारत की प्रमुख फसलें ( Main crops of India )
1. चावल ( Rice )
चावल भारत में सबसे अधिक उगाई जाने वाली फसल है। चावल उगाने के लिए 75 से.मी. से 200 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। चावल बोते समय 20 डिग्री सेल्शियस तथा काटते समय 27 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। चिकनी, कछारी तथा दोमट मिट्टी को चावल की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।
छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार, आन्ध्र प्रदेश, ओड़िसा, उत्तर प्रदेश तथा तमिलनाडु चावल के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। कुल कृषि भूमि के 25%भाग पर चावल की खेती की जाती है। विश्व के कुल चावल उत्पादन में भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान है।भारत विश्व का 22%चावल उत्पादित करता है। भारत मे चावल का सर्वाधिक उत्पादन पश्चिम बंगाल करता है,दूसरे व तीसरे स्थान पर क्रमशः आंध्र प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश है।
- समुचित खाद:-जैसे हरी खाद,अमोनिया सल्फेट,सुपर-फास्फेट आदि।
- किस्में:- ताईचुंग,कावेरी,मंसूरी,भवानी,रत्ना, पदमा, जया, IR-8,जमुना आदि।
2. मक्का ( Maize ):-
- मक्का अमेरिकी मूल का पौधा है।
- प्रमुख किस्मे:- गंगा-201,रणजीत, गंगा-5,सरताज,ध्वज,प्रभात,अरुण,दक्कन-105 आदि।
- प्रमुख उत्पादक :- कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र
3. ज्वार ( Sorghum )
ज्वार भारत की प्रमुख फसलों में से एक है। ज्वार उगाने के लिए 30 से.मी. से 100 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। ज्वार बोते समय 21 डिग्री सेल्शियस तथा काटते समय 25 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। हल्की दोमट मिट्टी को चावल की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, तथा तमिलनाडु ज्वार के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं क्षेत्रफल एवं उत्पादन की वृद्धि से चावल और गेहूं के बाद ज्वार देश में तीसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान फसल ह विश्व में ज्वार का सबसे बड़ा उत्पादक देश भारत है।
- किस्में:-सी एस एच-1,सी एस एच-4,सी एस वी-2 आदि।
4. बाजरा ( Millet )
बाजरा भारत की प्रमुख फसलों में से एक है। बाजरा उगाने के लिए 50 से.मी. से 70 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। बाजरा बोते समय 25 डिग्री सेल्शियस तथा काटते समय 35 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। बालुई मिट्टी को बाजरा की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।
राजस्थान महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, आन्ध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश बाजरा के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं बाजरा अफ़्रीकी मूल का पौधा है।यह गरीबो की प्रमुख फसल है। बाजरा विश्व में बाजरा के क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृस्टि से भारत का प्रथम स्थान है।
- किस्में:- सी ओ 1-5, के-1, एक्स-3, एच बी-67
5. गेहूँ ( wheat )-
चावल के बाद गेहूँ(Wheat),भारत की दूसरी प्रमुख फसल है। भारत विश्व का 12%भाग पर गहुँ की कृषि की जाती है। उष्ण जलवायु के कारण उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत में गेहूँ कम समय में पक जाता है। भारत में हरित-क्रांति का सबसे अनुकूल प्रभाव गेहूँ की कृषि पर पड़ा है।
- वर्षा:-25 से 75 सेमी
- तापमान:-बोते समय 10°,बढ़ते समय 15°,पकते समय 20° सेंटीग्रेड
- मिट्टी:-हल्की दोमट व चिकनी
- प्रमुख उत्पादक:- उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान व बिहार(घटते क्रम में)
- प्रमुख किस्में:-करना, राजो, सोनेरा63 और 64, हिरा, शेरा आदि।
6. तंबाकू (Tobacco )
तंबाकू भारत में 1508 ईसवी में पुर्तगालियों द्वारा लाया गया था आज भारत चीन एवं ब्राजील के बाद तंबाकू का तीसरा बड़ा उत्पादक है वर्तमान में यह सरकार के राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है! तंबाकू के उत्पादन में आंध्र प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश एवं गुजरात का प्रमुख स्थान है आंध्र प्रदेश का प्रकाशन एवं गुंटूर जिला कृष्णा नदी का डेल्टा क्षेत्र तंबाकू उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है|
- वर्षा 50 से 100 सेंटीमीटर|
- तापमान 16 डिग्री से 18 सेंटीग्रेड मिट्टी हल्की दोमट बलुई कछारी
- किसमें हेमा, गौतमी, CM-12 ,भव्या, वर्जिना 1158
- प्रमुख उत्पादक आंध्र प्रदेश गुजरात, कर्नाटक ,तमिलनाडु, उड़ीसा|
7. मूंगफली ( Peanut )
मूंगफली भारत की प्रमुख फसलों में से एक है। मूंगफली उगाने के लिए 75 से.मी. से 150 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। मूंगफली बोते समय 15 डिग्री सेल्शियस तथा काटते समय 25 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। हल्की रेतीली मिट्टी को मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।
गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा छत्तीसगढ़ मूंगफली के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
8. चाय ( TEA )
चाय भारत की प्रमुख पेय फसलों में से एक है। चाय उगाने के लिए 200 से.मी. से 300 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। चाय बोते समय 24 डिग्री सेल्शियस तथा काटते समय 30 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। हल्की तथा उपजाऊ मिट्टी को चाय के बगानों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
असम, तमिलनाडु, कर्नाटक तथा प. बंगाल चाय के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
9. कपास (Cotton )
कपास भारत की प्रमुख फसलों में से एक है। कपास उगाने के लिए 50 से.मी. से 100 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। कपास बोते समय 20 डिग्री सेल्शियस तथा काटते समय 40 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। गहरी तथा मध्यम काली मिट्टी को कपास की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।
पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तथा हरियाणा कपास के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
10. गन्ना ( Sugarcane )
गन्ना भारत की प्रमुख फसलों में से एक है। गन्ना उगाने के लिए 100 से.मी. से 150 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। गन्ना बोते समय 30 डिग्री सेल्शियस तथा काटते समय 35 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। दोमट या नमी वाली गहरी तथा चिकनी मिट्टी को गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक तथा आन्ध्र प्रदेश गन्ना के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
11.जूट ( JUTE )
जूट भारत की प्रमुख फसलों में से एक है। जूट उगाने के लिए 100 से.मी. से 200 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। जूट बोते समय 25 डिग्री सेल्शियस तथा काटते समय 35 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। कांप मिट्टी को जूट की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।
पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, ओड़िसा तथा आन्ध्र प्रदेश जूट के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
12. सरसों ( Mustard )
सरसों भारत की प्रमुख फसलों में से एक है। सरसों उगाने के लिए 75 से.मी. से 150 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। सरसों बोते तथा काटते समय 20 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। दोमट मिट्टी को सरसों की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।
राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, पंजाब तथा असम सरसों के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
13. रेपसीड ( Rapeseed )
रेपसीड भारत की प्रमुख फसलों में से एक है रेपसीड उगाने के लिए 75 से.मी. से 150 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है रेपसीड बोते तथा काटते समय 20 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। दोमट मिट्टी को रेपसीड की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।
राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, पंजाब तथा असम रेपसीड के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
14. चने की फसल ( Gram crop )
चना भारत की प्रमुख फसलों में से एक है। चना उगाने के लिए 75 से.मी. से 150 से.मी. तक की वर्षा की आवश्यकता होती है। चना बोते समय 20डिग्री सेल्शियस तथा काटते समय 35 डिग्री सेल्शियस तापमान होना चाहिए। हल्की दोमट तथा चिकनी मिट्टी को चने की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।
पंजाब, हरियाणा , उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तथा महाराष्ट्र चना के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
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