आधुनिक साहित्यकार एवं संग्रहालय
Albert Hall Museum अल्बर्ट हॉल म्यूजियम
यह राजस्थान का पहला संग्रहालय है, इसे महाराजा रामसिंह के शासनकाल में प्रिंस अलबर्ट ने 1876 में शुभारम्भ करवाया था उनके नाम पर ही इसका नाम रखा गया है।
इसी राजस्थान का प्रथम संग्रहालय कहा जा सकता है वर्तमान में इसका आकर्षण केंद्र मिस्र से मंगवाई गई ममी है
राजस्थान पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग जयपुर ( Rajasthan Archeology and Museum Department )
राजस्थान पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग का गठन 1950 में हुआ, यह विभाग प्रदेश में बिखरी पुरासंपदा तथा सांस्कृतिक धरोहर की खोज सर्वेक्षण एवं प्रचार प्रसार में संलग्न है इस विभाग द्वारा 222 स्मारक तथा पुरास्थल संरक्षित घोषित किए गए हैं
यह विभाग अपनी पत्रिका द रिसर्चर नाम से प्रकाशित करता है
राजस्थान राज्य अभिलेखागार बीकानेर ( Rajasthan State Archives )
संग्रहालय
राजस्थान राज्य अभिलेखागार बीकानेर, राजस्थान में स्थित है। इतिहास की लिखित सामग्री को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से 1955 में इस विभाग की स्थापना की गई प्रारम्भ में इसकी स्थापना 1955 में जयपुर में की गई थी, जिसे 1960 में बीकानेर में स्थानांतरित कर दिया गया।
इस विभाग की 6 शाखाएं जयपुर कोटा उदयपुर अलवर भरतपुर एवं अजमेर में स्थित है, इसमें कोटा रियासत का 300 वर्ष पुराना अभिलेख विद्यमान है यह अभिलेख राजस्थान की सबसे कठिन माने जाने वाली हाडोती भाषा में लिखा हुआ है
इसका उद्देश्य राजा के स्थायी महत्त्व के अभिलेखों को सुरक्षा प्रदान करना, वैज्ञानिक पद्धति द्वारा संरक्षण प्रदान करना तथा आवश्यकता पड़ने पर उसे न्यायालय, नागरिक, सरकार के विभाग, शोध अध्येताओं को उपलब्ध कराना है।
प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान जोधपुर ( Prachy Vidya Pratishthan )
1955 में स्थापना की गई, मध्यकालीन राजस्थान की पांडुलिपियां संस्कृत प्राकृत अपभ्रंश तथा पाली और राजस्थानी भाषाओं में अनेक विषयों पर लिखी गई, पांडुलिपियों का संग्रह को पोथी खाना कहा जाता है
प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के नियमित कार्यक्रमों में पांडुलिपियों का संपादन एवं प्रकाशन कार्यरत है पांडुलिपियों का प्रकाशन राजस्थान पुरातन ग्रंथ माला श्रृंखला के अंतर्गत किया जाता है
अरबी फारसी शोध संस्थान टोंक ( Arabic Persian Research Institute )
1978 में इसकी स्थापना की गई, यहां पर औरंगजेब द्वारा लिखी गई आलमगिरी कुरान तथा शाहजहां द्वारा लिखी गई कुराने कमाल दुर्लभ पुस्तकें स्थित है
नगर श्री लोक संस्कृति शोध संस्थान चूरू
1964 में इस विभाग की स्थापना इसके संस्थापक श्री अशोक कुमार अग्रवाल ने अपने अनुज श्री गोविंद अग्रवाल के सहयोग से चूरू सीकर नागौर तथा बीकानेर जिलों के लोक जीवन से जुड़े विभिन्न प्रसंगों को एकत्रित किया गया
1989 में श्री अग्रवाल ने संस्थान के मंच का निर्माण करवाया गया, वर्तमान में संस्थान द्वारा राजस्थानी लोक कथा कोष नामक प्रकाशन का काम अपने हाथ में लिया हुआ है
Rajasthan Museum
- विक्टोरिया हाल म्यूजियम,गुलाब बाग़ उदयपुर – स्थापना 1887 में इसका निर्माण हुआ
- राजपुताना मुयुजियम अजमेर – स्थापना 19 अक्टूम्बर 1908
- सरदार म्यूजियम, जोधपुर – स्थापना 1909 में
- संग्रहालय झालावाड – स्थापना 1915 में
- गंगा गोल्डन जुबली म्यूजियम बीकानेर – गंगानर स्थापना 5 नवम्बर 1937
- राजकीय संग्रहालय, भरतपुर – स्थापना 1944
- अलवर संग्रहालय – स्थापना 1940
- चित्तोड़गढ़ संग्रहालय – इसका निर्माण फतहसिह ने करवाया था
- श्री बांगड़ राजकीय संग्रहालय पाली – 1857
- सिटी पैलेस संग्रहायल जयपुर – 1959
- श्री रामचरण प्राच्य विघापीठ एवं संग्रहालय जयपुर – 1960
- करनी म्यूजियम, बीकानेर – यह जुनागड़ किले के गंगा निवास में स्थित है।
- सार्दुल म्यूजियम, बीकानेर – यह बीकानेर के लालगड पैलेस में स्थित है।
- बिड़ला तकनीकी म्यूजियम – इसकी स्थापना 1954 में की गयी
- प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय जयपुर – यह प्रदेश का एकमात्र अनिखा संग्रहालय है।
- लोक सांस्कृतिक संग्रहालय, गडसीसर, जैसलमेर – 1984
- कालीबंगा संग्रहालय – 1985 – 1986 में कालीबंगा के खनन से अवशेष के लिए इसे हनुमानगढ में बनाया गया ।
- जनजाती संग्रहालय उदयपुर – 30 दिसंबर 1983 में माणिक्यलाल वर्माजनजाति शोध संस्थान द्वारा बनवाया गया जिसका उद्धेश्य जनजातियो की संस्कृति एवं सामाजिक आर्थिक व्यवस्था को सरक्षित करना था ।
- मेहरानगढ़ संग्रहालय जोधपुर – यह मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित है ।
- उम्मेद भवन पैलेस संग्रहालय – यह जोधपुर रियासत के राजा उम्मेदसिह ने 1929 में करवाया 1942 में इसका कार्य समपन्न हुआ ।
- नाहटा संग्रहालय, सरदार नगर (चुरू) – यह राजस्थान के चुरू जिले में स्थित है
- सिटी पैलेस म्यूजियम उदयपुर – यह संग्रहालय उदयपुर के भव्य राजमहल सिटी पैलेस में स्थित है इसका निर्माण महाराणा अमरसिह ने करवाया था ।
- आहड संग्रहालय उदयपुर – इसमे चार हजार पूर्व सभ्यता के अवशेष है
- राव माधोसिह ट्रस्ट संग्रहालय कोटा – यह कोटा में स्थित है जो एतिहासिक हैं
- लोक कला संग्रहालय उदयपुर – यह भारतीय लोक कला मंडल भवन में स्थित है
- मीरा सग्रहालय – यह मेड़ता नगर में स्थित है जो मीरा के लिए प्रासिद्ध है।
- हल्दी घाटी संग्रहालय – यह महाराणा प्रताप सिह के एतिहासिक जीवन की यादो को संजोने वाला संग्रहालय है।
Rajasthan Modern Literary Writers ( राजस्थान के आधुनिक साहित्यकार )
Kanhaiyalal Sethia ( कन्हैयालाल सेठिया )
चुरू जिले के सुजानगढ कस्बे में जन्मे सेठिया आधुनिक काल के प्रसिद्ध हिंदी व राजस्थानी लेखक है। इनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध काव्य रचना ‘पाथल व पीथल’ है। (पाथल राणाप्रताप को व पीथल पृथ्वीराज राठौड़ को कहा गया है) सेठिया की अन्य प्रसिद्ध रचनाएं – लीलटांस, मींझर व धरती धोरा री है।
Vijaydan Detha ( विजयदान देथा )
देथा की सर्वाधिक प्रसिद्ध एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त कृति ‘बांता री फुलवारी’ है जिसमें राजस्थानी लोक कथाओं का संग्रह किया गया है। राजस्थानी लोकगीतों व कथाओं के शोध में इनका महत्वपूर्ण योगदान है।
Komal Kothari ( कोमल कोठारी )
राजस्थानी लोकगीतों व कथाओं आदि के संकलन एवं शोध हेतु समर्पित कोमल कोठारी को राजस्थानी साहित्य में किए गए कार्य हेतु नेहरू फैलोशिप प्रदान की गई। कोमल कोठारी द्वारा राजस्थान की लोक कलाओं, लोक संगीत एवं वाद्यों के संरक्षण, लुप्त हो रही कलाओं की खोज एवं उन्नयन तथा लोक कलाकारों को प्रोत्साहित करने हेतु बोरूंदा में रूपायन संस्था की स्थापना की गई।
Sitaram Lalas ( सीताराम लालस )
सीताराम लालस राजस्थानी भाषा के आधुनिका काल के प्रसिद्ध विद्वान रहे है। राजस्थानी साहित्य में सीताराम लालस की सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि राजस्थानी शब्दकोश का निर्माण है।
Mani Madhukar ( मणि मधुकर)
मणि मधुकर की राजस्थानी भाषा की सर्वाधिक प्रसिद्ध कृति पगफेरो है।
Rangeya Raghav ( रांगेय राघव )
राजस्थान के रांगेय राघ देश के प्रसिद्ध गद्य लेखक रहे है। इनके प्रसिद्ध उपन्यास घरोंदे, मुर्दों का टीला, कब तक पुकारूं, आखिरी आवाज है।
Yadavendra Sharma ‘Chandra’ ( यादवेंद्र शर्मा ‘चंद्र’ )
राजस्थान के उपन्यासकारों में सर्वाधिक चर्चित उपन्यासकार बीकानेर के यादवेंद्र शर्मा चंद्र ने राजस्थान की सामंती पृष्ठभूमि पर अनेक सशक्त उपन्यास लिखे।
उनके उपन्यास ‘खम्मा अन्नदाता’ ‘मिट्टी का कलंक’ ‘जनानी ड्योढी’ ‘एक और मुख्यमंत्री’ व ‘हजार घोड़ों का सवार’ आदि में सामंती प्रथा के पोषक राजाओं व जागीरदारों के अंतरंग के खोखलेपन, षडयंत्रों व कुंठाओं पर जमकर प्रहार किये गए है।
राजस्थानी भाषा की पहली रंगीन फिल्म लाजराखो राणी सती की कथा चंद्र ने ही लिखी है। हिंदी भाषा में लिखने वाले राजस्थानी लेखकों में यादवेंद्रशर्मा चंद्र सबसे अग्रणी है।
Chandrasinh Birkali ( चंद्रसिंह बिरकाली )
ये आधुनिक राजस्थान के सर्वाधिक प्रसिद्ध प्रकृति प्रेमी कवि है। इनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध प्रकृति परक रचनाएं लू, डाफर व बादली है। चंद्रसिं ह बिरकाली ने कालिदास के नाटकों का राजस्थानी में अनुवाद किया है।?
Meghraj Mukul ( मेघराज मुकुल )
सेनाणी व श्रीलाल जोशी की आभैपटकी राजस्थानी भाषा की लोकप्रिय रचनाएं रही है।
George Abraham Gireson ( जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन )
ये अंग्रेज भारतीय भाषाविद थे। जिन्होंने वर्ष 1912 में ‘Linguistic survey of India’नामक ग्रन्थ की रचना की।इस ग्रन्थ में इन्होंने राजस्थान की भाषा के लिये ‘राजस्थानी’शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया।जो इस परदेश में प्रचलित भाषाओं का सामुहिक नाम था।।
Kaviraj Shyamaldas ( कविराज श्यामलदास )
कविराज श्यामलदास मेवाड़ महाराणा सज्जन सिंह के कृपा पात्र थे। श्यामलदास कवि और इतिहासकार दोनो थे। ‘विरविनोद’ इनके द्वारा रचित प्रमुख इतिहास ग्रन्थ है।इसमें मुख्यतः मेवाड़ का इतिहास वर्णित है।चार खंडो में रचित इस ग्रन्थ पर कविराज को ब्रिटिश सरकार द्वारा ‘केसर-ए-हिन्द की उपाधि प्रदान की गई।।
James Tod ( कर्नल जेम्स टॉड )
इंग्लैंड निवासी जेम्स टॉड सन 1800 में पशिचमी एवं मध्य भारत के पॉलिटिकल एजेंट बनकर भारत आये थे।1817 में वे राजस्थान की कुछ रियासतों के पोलिटिकल एजेंट बनकर उदयपुर आये।
1829 में उन्होंने ‘Annals and antiquities of rajsthan’ग्रन्थ लिखा।तथा1839 में ‘Travels in western india’की रचना की।इन्हें राजस्थान के इतिहास लेखन का पितामह कहा जाता हैं।।
कन्हैयालाल सहल
इनकी पुस्तकें-चोबोली, हरजस बावनी, राजस्थानी कहावतें, राजस्थान के ऐतिहासिक प्रवाद, आदि ।।
राव बख्तावर
ये उदयपुर के महाराणा स्वरूप सिंह के दरबारी कवि थे।’केहर प्रकाश’इनकी सर्वश्रेष्ठ रचना है।