muslim league
मुस्लिम लीग
मुस्लिम_लीग का मूल नाम ‘अखिल भारतीय मुस्लिम लीग‘( all-india muslim league ) था। यह एक राजनीतिक समूह था जिसने ब्रिटिश भारत के विभाजन (1947 ई.) से निर्मित एक अलग मुस्लिम राष्ट्र के लिए आन्दोलन चलाया।
बंगाल विभाजन की घोषणा के बाद मुस्लिम लीग ( muslim league ) अलीगढ़ कॉलेज के प्राचार्य आर्चबोल्ड एवं तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मिंटो के निजी सचिव डनलप स्मिथ के प्रयास से आगा खां के नेतृत्व में 36 मुसलमानों का प्रतिनिधिमंडल 1 अक्टूबर 1906 को वायसराय लॉर्ड मिंटो से मिला ।
उन्होंने मांग की कि प्रतिनिधि संस्थाओं में मुस्लिमों के राजनीतिक महत्व और साम्राज्य की रक्षा में उनकी देन के अनुरूप उनका स्थान होना चाहिए ना कि उनके समाज की जनसंख्या के आधार पर विधान परिषदों के लिए मुस्लिम निर्वाचन मंडल स्थापित किए जाएं
इस शिष्टमंडल ने केंद्रीय प्रांतीय वह स्थानीय निकायों में मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल की मांग की। इस शिष्टमण्डल को भेजने के पीछे अंग्रेज़ उच्च अधिकारियों का हाथ था
अलीगढ़ कॉलेज के प्रिंसपल आर्चबोल्ड इस प्रतिनिधिमण्डल के जनक थे
ढाका के नवाब सलीमुल्लाह ने 30 दिसंबर 1906 को डाका में एक बैठक में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग ( muslim league ) की स्थापना की घोषणा की। नवाब सलीमुल्लाह मुस्लिम_लीग ( muslim league ) के संस्थापक व अध्यक्ष थे। वकार उल मुल्क मुश्ताक हुसैन इसके प्रथम अध्यक्ष थे। और 1908 में आगा खां के स्थाई अध्यक्ष बने।
muslim league
मुस्लिम लीग ( muslim league ) की स्थापना के उद्देश्य।
- ब्रिटिश सरकार के प्रति मुसलमानों की निष्ठा बढ़ाना।
- मुसलमानों के राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करना।
- उपरोक्त दोनों को हानि पहुंचाए बिना जहां तक संभव हो मुसलमानों व दूसरी जातियों के बीच मित्रता का भाव उत्पन्न करना।
- यह कांग्रेस के बढ़ते हुए प्रभाव को रोकना चाहती थी
muslim league के 1908 में अमृतसर अधिवेशन में मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन की मांग की गई। जिसे 1909 ईस्वी में मार्ले मिंटो सुधारो में स्वीकार किया गया।
लीग ने 1916 ई. के ‘लखनऊ समझौते’ के आधार पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का समर्थन करने के अतिरिक्त कभी भी भारतीयों के राजनीतिक अधिकारों की मांग नहीं की
मुस्लिम लीग ने 23 मार्च 1940 ईस्वी को आयोजित अपने लाहौर अधिवेशन में पहली बार पाकिस्तान की मांग की । जिन्ना ने 23 मार्च 1940 ईस्वी को लाहौर में पाकिस्तान की मांग की घोषणा करते हुए कहा कि यह हिंदू और मुसलमान शब्द नियतनिष्ठा अर्थ में धर्म नहीं है अपितु वास्तव में भिन्न और स्पष्ट सामाजिक व्यवस्था है।
1941 ईस्वी में muslim league ने अपने मद्रास अधिवेशन में इसकी मांग पुनः दोहराया। भारत के मुसलमानों के लिए सर्वप्रथम एक अलग राज्य की मांग करने वाला व्यक्ति मोहम्मद इकबाल था।
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