राष्ट्रीय सुरक्षा
DRDO – Defense Research and Development Organization
राष्ट्रीय सुरक्षा
1958 रक्षा नीति के उद्देश्य को पूरा करने एवं प्रतिरक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने हेतु भारत सरकार ने इसकी स्थापना की इस में 51 प्रयोगशाला में कार्यरत है 1980 में डीआरडीओ तथा इन प्रयोगशालाओं के प्रबंधन हेतु रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग का गठन किया गया डीआरडीओ प्रमुख ,डीआरडीओ सचिव व रक्षा मंत्री का वैज्ञानिक सलाहकार होता है
यस्य मूलम विज्ञानं
DRDO भारत की रक्षा तैयारियों को वैज्ञानिक आधार प्रदान करता है DRDO दो प्रकार की योजनाओं का संचालन करता है
- सेना की मांग के अनुरूप हथियारों की r&d
- स्वयं की ओर से सेना के आधुनिकीकरण हेतु हथियारों की r&d
डीआरडीओ की परियोजनाओं को तीन भागों में बांटा जा सकता है
- थल सेना के लिए
- जल सेना के लिए
- वायु सेना के लिए
थल सेना के लिए परियोजनाएं ( Projects for the Army )
- विभिन्न मिसाइलों के लिए r&d जैसे अग्नि पृथ्वी नाग आकाश
- विभिन्न प्रकार के टैंकों का विकास करना जैसे अर्जुन करण भीष्म
- टैंक के ऊपर लगने वाले तो का विकास करना जैसे भीष्म
जल सेना के लिए परियोजनाएं ( Projects for the NAVY )
- विभिन्न प्रकार के युद्धपोत की आरएंडी मिसाइल तो रखने के लिए जैसे INS.कोलकाता
- विभिन्न विमानवाहक पोत का विकास जैसे INS विक्रांत
- विभिन्न प्रकार के पनडुब्बियों का विकास करना जैसे INS अरिहंत
वायु सेना के लिए परियोजनाएं ( Projects for the Air Force )
- विभिन्न लड़ाकू विमानों की r&d जैसे LCA तेजस
- विभिन्न मानवरहित विमानों का विकास करना जैसे लक्ष्य ,निशांत ,रुस्तम
- विभिन्न प्रकार के हेलीकॉप्टरों का विकास करना जैसे ध्रुव रुद्र
Missile technology
मिसाइल दो प्रकार की होती हैं
1 ब्लास्टिक मिसाइल
2 क्रूज मिसाइल
बैलेस्टिक मिसाइल ( Ballistic missile )
- बैलेस्टिक मार्ग पर गति करते हुए अपने लक्ष्य पर वार
- प्रक्षेपण के बाद कुछ समय तक प्रबोधक प्रणाली तथा बाद में गुरुत्वाकर्षण पर
- रडार तथा निर्देशन प्रणाली का प्रयोग जिससे इसकी दिशा में कुछ परिवर्तन किया जा सकता है लेकिन गति अपरिवर्तित रहेगी
- इस मिसाइल में रॉकेट इंजन का प्रयोग किया जाता है
- इस मिसाइल की सहायता से अंतर महाद्वीपीय मिसाइल प्रणाली विकसित की जा सकती है
- एक से अधिक लक्ष्यों पर वार कर सकती है पारंपरिक नाभिकीय रासायनिक एवं जैविक हथियारों को ले जाने में सक्षम है उदाहरण पृथ्वी आकाश अग्नि
क्रूज मिसाइल ( Cruise missile )
- पृथ्वी की सतह से समांतर में निकट गति करती है इससे वे रडार की पहुंच से बाहर हो जाती है
- प्रणोद प्रणाली का प्रयोग पूरे समय तक किया जाता है
- इसमें लगे रडार तथा निर्देशन प्रणाली द्वारा इसकी दिशा बदली जा सकती है साथ ही इसकी गति को भी नियंत्रित किया जा सकता है अर्थात इसका प्रयोग लचीला है उदाहरण ब्रह्मोस निर्भय
उपयोग के आधार पर मिसाइलें दो प्रकार की होती हैं
- टैक्टिकल मिसाइल तथा
- स्ट्रैटेजिक मिसाइल
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