प्रधानमंत्री
संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार राष्ट्रपति की सहायता के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी
जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होगा, संविधान द्वारा प्रदत्त सरकार की संसदीय व्यवस्था में राष्ट्रपति केवल नाम मात्र का कार्यकारी प्रमुख होता है
तथा वास्तविक कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री में निहित होती है । दूसरे शब्दों में, राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख होता है, जबकि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है ।
अनुच्छेद 75 के अनुसार प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होगी परंतु प्रधानमंत्री बहुमत दल का नेता होना चाहिए, राष्ट्रपति सुरक्षा समिति के प्रधान या अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं
Prime minister प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री से संबंधित विभिन्न विद्वानों के कथन
- लार्ड मार्ले – “समान के बीच प्रथम तथा केबिनेट रूपी चाप के मुख्य प्रस्तर”।_
- हबरट मैरिसन – “सरकार के मुखिया के रूप में वह सबसे प्रमुख है”।_
- सर विलियम वर्नर हार्डकोरट – “तारों के बीच चंद्रमा”।_
- मुनरो – “वह राज्य की नौका का कप्तान है”।_
- रैम्जे म्योर – “राज्य के जहाज का मल्लाह”।_
- एच.आर.जी. ग्रीवस – “सरकार देश की प्रमुख है और वह (प्रधानमंत्री) सरकार का प्रमुख है”।_
- जेनिंग्स – “वह सूर्य के समान है जिसके चारों ओर ग्रह परिभ्रमण करते हैं”।
- वह संविधान का मुख्य आधार है ।संविधान के सभी मार्ग प्रधानमंत्री की ओर जाते हैं।_
- एच जे लास्की – “प्रधानमंत्री कैबिनेट के निर्माण का केंद्र बिंदु,इसके जीवन का केंद्र बिंदु एवं इसकी मृत्यु का केंद्र बिंदु है”।_
प्रधानमंत्री की नियुक्ति ( Appointment of prime minister )
संविधान मे प्रधानमंत्री के निर्वाचन और नियुक्ति के लिए कोई विशेष प्रक्रिया नहीं दी गई है ।
अनुच्छेद 75 (1) केवल इतना कहता है राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की नियुक्ति करेगा ।
हालांकि इसका अभिप्राय यहां नहीं है कि राष्ट्रपति किसी भी व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त करने हेतु स्वतंत्र है ।
सरकार की संसदीय व्यवस्था के अनुसार राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है
परंतु यदि लोकसभा में कोई भी दल स्पष्ट बहुमत में ना हो तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति में अपने वैकतिक विवेक स्वतंत्रता का प्रयोग कर सकता है ।
इस स्थिति में राष्ट्रपति सामान्यता सबसे बड़े दल अथवा गठबंधन के नेता को प्रधान_मंत्री नियुक्त करता है
एक माह के भीतर सदन में विश्वास मत हासिल करने के लिए कहता हैउससे
राष्ट्रपति द्वारा इस विवेक स्वतंता का प्रयोग प्रथम बार 1979 में किया गया जब तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम सजीवन रेडी ने मोरारजी देसाई वाली जनता पार्टी के सरकार के पतन के बाद चरण सिह (गठबंधन के नेता) को प्रधान_मंत्री नियुक्त किया ।
संसद के किसी भी सदस्य को प्रधान_मंत्री बनाया जा सकता है, जब बहुमत स्पष्ट ना हो, बिना संसद सदस्य रहते हुए भी कोई व्यक्ति प्रधान_मंत्री बन सकता है
परंतु उसे 6 माह के भीतर संसद का सदस्य बनना पड़ता है।
कार्यकाल–
- प्रधान_मंत्री का कार्यकाल निश्चित नही होता है।
- वह राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पड़ पर बना रहता है,परन्तु इसका अर्थ यह नही हैं
- कि राष्ट्रपति किसी भी समय उसको पद से हटा दे।
- प्रधान_मंत्री को जब तक लोकसभा में बहुमत प्राप्त है, राष्ट्रपति उसे हटा नही सकता है।
- लोकसभा में अपना बहुमत खो देने पर उसे अपने पद से त्यागपत्र देना होगा।
- त्यागपत्र न देने पर भी राष्ट्रपति उसे पद से हटा सकता है।
वे मुख्यमंत्री, जो प्रधानमंत्री बने
- मोरारजी देसाई
- चौधरी चरण सिंह
- वीपी सिंह
- पी वी नरसिम्हा राव
- एच डी देवेगौड़ा
मोरारजी देसाई तत्कालीन मुंबई राज्य के मुख्यमंत्री थे 1952-56 तक।
वी पी सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे जो राष्ट्रीय मोर्चा सरकार में प्रधान_मंत्री बने दिसंबर 1989 से नवंबर 1990 तक।
चौधरी चरण सिंह अविभाजित उत्तर प्रदेश के 1967- 68 तथा पुन:1970 में मुख्यमंत्री बने।
पी वी नरसिम्हा राव 1971 से 1973 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे जो बाद में 1991 से 1996 तक देश के प्रधान_मंत्री रहे।
पी वी नरसिम्हा राव, दक्षिण भारत से प्रधान_मंत्री बनने वाले पहले नेता थे।
एचडी देवगौड़ा प्रधान_मंत्री बनने से पहले कर्नाटक राज्य के मुख्यमंत्री थे जो जून 1996 में संयुक्त मोर्चा सरकार के मुखिया बने।
Prime minister important facts
- वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष भारत के प्रधान_मंत्री होते हैं
- भारत का प्रधान_मंत्री बनने के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष होनी चाहिए
- भारत का प्रधान_मंत्री अपने मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में काम करने के लिए व्यक्तियों का चयन करने में पूर्णत: स्वविवेक का प्रयोग करता है
- प्रधानमंत्री की सलाह पर ही राष्ट्रपति लोकसभा भंग करता है
- मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधान_मंत्री की सलाह पर ही करता है