लोकनीति (Public Policy) का अर्थ- लोकनीति में लोक का अर्थ सरकार सें है। अतः लोकनीति का तात्पर्य है सरकार द्वारा बनाई गई नीति। दूसरे शब्दों में जनता की विविध मांगों एवं कठिनाइयों का सामना करने के लिए सरकार को जो नीतियां बनानी पडती है उन्हें ही लोकनीति कहते है।
लोकनीति अथवा ‘सार्वजनिक नीति’ (Public policy) वह नीति है जिसके अनुसार राज्य के प्रशासनिक कार्यपालक अपना कार्य करते हैं। बहुत से विचार कों का मत है कि लोक प्रशासन, लोकनीति को लागू करने और उसकी पूर्ति के लिये लागू की गयी गतिविधियों का योग है।
सावर्जनिक नीति का अध्ययन अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में प्रमुखता से किया जाता है। सार्वजनिक नीति सामान्यतया अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, शिक्षा, तकनीकी एवं सामाजिक नीतियों जैसे सामान्य शीर्षकों में वर्गीकृत की जाती है।
हम सब अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में असंख्य सार्वजनिक नीतियों से अत्यन्त प्रभावित हैं। सार्वजनिक नीति की पहुँच व्यापक है, अत्यावश्यक से नगण्य तक। सार्वजनिक नीतियाँ आज प्रतिरक्षा, पर्यावरण सरंक्षण, चिकित्सकीय देखभाल एवं स्वास्थ्य, शिक्षा, गृह निर्माण, कराधान, महँगाई, विज्ञान और तकनीकी इत्यादि मूलभूत क्षेत्रों से संबंधित है।
सार्वजनिक नीतियां सूक्ष्म स्तर से वृहत स्तर तक अनेक पक्षों के साथ व्यवहार करती है। इसका संबंध चाहे आन्तरिक घरेलू पक्षों से हो या बाह्य विदेशी मामले से। घरेलू क्षेत्र में, सार्वजनिक नीतियां सूक्ष्म स्तर के किसी विशिष्ट गाँव पर ध्यान केन्द्रित कर सकती है या किसी विशिष्ट खण्ड या समुदाय से संबंधित हो सकती है।
इसी तरह सार्वजनिक नीतियाँ स्थानीय, राज्य या राष्ट्रीय सरकार से संबंधित हो सकती है। सार्वजनिक नीति विदेशी मामले, शिक्षा, प्रतिरक्षा, कृषि, गृह निर्माण, शहरी विकास, सिंचाई आदि से जुड़ी हो सकती है। सार्वजनिक नीतियों का विस्तार अत्यन्त नगण्य पक्ष से लेकर अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पक्ष तक हो सकता है।
इसमें किसी राष्ट्रीय नेता की स्मृति में राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने और इसके तहत सैकड़ों करोड़ रूपये की मजदूरी देना भी सम्मिलित है।
यह अनेक रूपों में अभिव्यक्त होती है यथा कानून अध्यादेश न्यायालय के निर्णय कार्यकारी आदेश आदि लोकनीति (Public Policy) सकारात्मक होती है क्योंकि यह सरकार की चिंताओं और विशिष्ट समस्याओं के प्रति उनकी गतिविधि को स्पष्ट करती है। लोकनीति (Public Policy) के पीछे कानून की शक्ति से मान्यता होती है।
नकारात्मक रूप में लोकनीति को इस प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है कि यह किसी मुद्दे पर सरकारी अधिकारियों द्वारा कोई कदम नहीं उठाने के रूप में भी अभिव्यक्त हो सकती है। लोक नीति की प्रकृति सरकारी व निजी दोनो है। लोक नीति में लोक का अर्थ है सरकारी।
- भारत की पहली औपचारिक नीति वन नीति थी जो वर्ष 1894 में बनी थी।
- 1922 में लोक नीति का अध्ययन शुरु हुआ।
- प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट 1954 टेरी की कृति है। “द पॉलिसी साइंस” डेनियल लर्नर लासवेल की रचना है।
- पीटर आड़े गार्ड ने कहा कि “लोकनीति और प्रशासन राजनीति के जुड़वा बच्चे हैं।”
सार्वजनिक नीति की अवस्थाएँ (Stages of public policy)
(1) नीति निरूपण- सार्वजनिक नीति प्रक्रिया में पहली अवस्था नीति-निरूपण है। सार्वजनिक नीति क्रियाकलापों का प्रस्तावित अनुक्रम है जो सार्वजनिक मांगों एवं समस्याओं पर विचार करता है।
(2) नीति व्याख्या- नीति-निरूपण का कार्य पूरा होने के साथ ही नीति में तकनीकी शब्द व वाक्यांश सम्मिलित हो जाते हैं। उन पदों व वाक्यांशों की व्याख्या बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। उनके अन्यथा गलत अर्थ लगाने पर नीति त्याज्य हो सकती है। अतः सरकारी कर्ता-धर्ताओं के लिए नीति की व्याख्या करना आवश्यक हो जाता है।
(3) नीति शिक्षा- सार्वजनिक नीति की अगली अवस्था नीति-शिक्षा है। सरकार, जनसंचार के विभिन्न माध्यमों से, अपने द्वारा बनायी नीति के बारे में जनसामान्य को अवगत कराने का प्रयास करती है। लोगों को नीति के बारे में शिक्षित करना बहुत जरूरी है क्योंकि लोग इसकी पालना व आदर तभी करेंगे जब वे इसे समझ लेंगे।
(4) नीति क्रियान्वयन- नीति के निरूपण व व्याख्या करने के पश्चात् व जनसाधारण को इसके बारे में शिक्षित करने के पश्चात्, अगली अवस्था नीति को क्रियान्वित करने की होती है। यह भी एक कठिन अवस्था है क्योंकि जब तक नीतियों का उपयुक्त एवं सकरात्मक क्रियान्वयन नहीं होगा, नीतियों के निरूपण पर समरू व्यय करने का कोई लाभ नहीं होगा। क्रियान्वयन कार्य केन्द्रीय, राज्य व स्थानीय स्तर पर कई प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किया जाता है।
(5) नीति नियन्त्रण- नीति प्रक्रिया की अंतिम अवस्था विभिन्न कर्ताओं व अभिकरणों के द्वारा निरूपित एवं क्रियान्वित की गई सावर्जनिक नीतियों पर नियंत्रण की होती है। सार्वजनिक नीतियों पर पूर्ण नियन्त्रण स्थापित करना सरकार का कत्तर्व्य है ताकि वे उद्देश्य, जिनके लिए नीतियां बनाई गई थी, प्राप्त हो सकें और उनसे जनसाधारण पर्याप्त लाभान्वित हो सके।
सार्वजनिक नीतियों पर पूर्ण नियंत्रण रखने के लिए उचित एवं उपयुक्त प्रशासनिक तथा न्यायिक कार्यों की आवश्यकता होती है।
सार्वजनिक नीति के अध्ययन का महत्त्व (Importance of public policy study)
सार्वजनिक नीति की समग्र समझ के लिए, सार्वजनिक नीति परिदृश्यों एवं पर्यावरणीय शक्तियों के मध्य के संयोजन का विश्लेषण किया जाना चाहिए। सार्वजनिक नीति के विभिन्न आयामों को समझने की घोर आवश्कता है।
वास्तव में आधुनिक विश्व में, सार्वजनिक नीतियां मानव जाति की नियति का निर्धारण करती है। मानव मात्र का कल्याण तथा आर्थिक उद्धार, सार्वजनिक नीति की निपुणता पर निर्भर है। यदि अकुशल नीतियाँ साल दर साल जारी रखीगयी तो वे नीतियाँ लोगों के आर्थिक स्तर का ह्रास करने में योगदान देगी।
अकुशल नीतियों को छोड़ना ही होगा। सही लक्ष्यों के साथ यही सार्वजनिक नीतियों को अपनाना होता हैं।
लोक नीति निर्माण की विशेषताएं (Features of Public Policy Creation)
- लोकहित पर आधारित।
- सरकारी संस्थाओं द्वारा बनाया जाना।
- लोक नीति जटिल प्रक्रिया का परिणाम।
- दिशा निर्देश रेखांकित करना।
- भविष्योंन्मुख
- विभिन्न निकायों व प्राधिकरणों का योगदान।
लोक नीति के प्रकार (Types of public policy)
भारत में लोकनीति यों का वर्गीकरण मुख्य रूप से दो आधारों पर किया जाता है-
विषय वस्तु के आधार पर-
विषय वस्तु के आधार पर लोकनीतियां के निम्न प्रकार की हो सकती है-
- आर्थिक
- सामाजिक
- राजनीतिक
- सुरक्षा संबंधी आदि
नीति की तकनीकी प्रकृति के आधार पर
- तात्विक अथवा सारगत नीतियां
- नियंत्रक नीतियां
- वितरक नीतियां
- पुनः वितरक नीतियां
- निर्माणकारी नीतियां
लोकनीति निर्माण के चरण (Steps for the development of democracy)
- समस्या को पहचानना
- समस्या के समाधान हेतु विभिन्न उपलब्ध विकल्पों का तुलनात्मक अध्ययन
- सबसे उत्तम विकल्प का चयन
- नीतियों का क्रियान्वयन
- लोकनीति क्रियान्वयन की देखरेख
- मूल्यांकन
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भारत में नीति निर्धारण के अभिकरण (Agency for Policy Assessment in India)
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