Rajasthan Festival राजस्थान के पर्व
पर्व
हिंदुओं के त्योहार ( Festivals of Hindus )
- 1 तीज राजस्थान की स्त्रियों का सर्व प्रिय त्यौहार है तीज प्रतिवर्ष 2 बार आती है
- बड़ी तीज भाद्र कृष्ण तृतीया
- छोटी तीज श्रवण शुक्ला तृतीया छोटी तीज ही अधिक प्रसिद्ध है तीज के 1 दिन पूर्व सिंजारा का पर्व मनाया जाता है ।
- 2 नाग पंचमी सावन कृष्णा पंचमी को नाग पूजा की जाती है घर के दरवाजे के दोनों और गोबर से नाग का चित्र अंकित किया जाता है ।
- 3 रक्षाबंधन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है बहन भाई को राखी बांधती है।
- 4 उपछठ भाद्र कृष्ण षष्ठी में कुंवारी कन्याओं के लिए उबछठ का त्यौहार आता है कुंवारी कन्याएं दिनभर खड़ी रहती है खाना नहीं खाती चंद्रमा के दर्शन के बाद भोजन करती है ।
- 5 हिंडोला उत्सव श्रावण व भादो के महीने में मनाया जाता है राम और कृष्ण की मूर्तियों को झूले पर बिठाकर झुलाते हैं ।
- 6 श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष मनाया जाता है ।
- 7 जन्माष्टमी यह त्यौहार भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है इस दिन कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था।
- 8 गणेश चतुर्थी भाद्रपद शुक्ला चतुर्थी को मनाया जाता है गुरु शिष्य एक दूसरे का पूजन करते हैं सवाई माधोपुर में गणेश जी का मेला भरता है
- 9 भाद्र कृष्ण नवमी को गोगानवमी का त्यौहार मनाया जाता है ।
- 10 नवरात्रा मां दुर्गा के नवरात्र वर्ष में दो बार मनाए जाते अश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक तथा चैत्र मास में शुक्ल एकम से नवमी तक।
- 11 दशहरा अश्विन शुक्ला दशमी को विजयदशमी दशहरा त्यौहार मनाते हैं ।
- 12 करवा चौथ कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत स्त्रियां मनाती है अपने पति की लंबी आयु हेतु व्रत करती है चंद्रमा के दर्शन कर भोजन करती है ।
- 13 दीपावली कार्तिक कृष्ण अमावस्या को संपूर्ण देश में दीपावली पर्व मनाया जाता है।
- 14 गोवर्धन पूजा इसे अन्नकूट पूजा भी कहते हैं दीपावली के दूसरे दिन शाम को गोबर का गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है ।
- 15 कार्तिक पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा को नदियों तालाबों में लोग स्नान करते हैं कोलायत बीकानेर चंद्रभागा झालरापाटन पुष्कर अजमेर की झीलों में हजारों लोग स्नान करते हैं इस दिन भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म दिन भी इसी तिथि को हुआ था सिख लोग भी कार्तिक पूर्णिमा दिवस धूमधाम से मनाते हैं ।
- 16 मकर सक्रांति 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश पर मकर सक्रांति पर्व मनाया जाता है नदी और जलाशयों में लोग स्नान करते हैं और अनेक स्थानों पर पतंग उड़ाई जाती है तिल के बने व्यंजन का दान किया जाता है।
- 17 बसंत पंचमी माघ शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी मनाई जाती है।
- 18 फाल्गुन कृष्ण तेरस को शिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है ।
- 19 होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को पूरे देश में होली का त्यौहार मनाया जाता है होली के दिन होली का दहन व दूसरे दिन फ़ाग खेलने की प्रथा है महावीर जी में लठमार होली बाड़मेर में पत्थर मार होली आदिवासी अंचल में भगोरिया खेला जाता है भिनाय अजमेर में 2 दिन एक दूसरे पर कोड़े बरसाते होली खेलते हैं ।
- 20 शीतलाष्टमी चैत्र कृष्ण अष्टमी को मनाया जाता है इस दिन बासी भोजन का भोग लगता है इसे बासोड़ा भी कहते हैं।
- 21 घुड़ला त्यौहार चैत्र कृष्णाष्टमी को घुड़ला त्यौहार मनाते हैं छेद किए हुए घड़े में दीपक रखकर गीत गाती हुई स्त्रियां घर लौटती है ।
- 22 गणगौर चैत्र शुक्ल तृतीया को पार्वती के गोने का सूचक यह त्योहार होली के लगभग 15 दिन बाद मनाया जाता है विवाहित स्त्रियां अपने सुहाग के अमर होने वह अपने भाई के चिरायु होने का वर मांगती है अविवाहित कुंवारिया अपने भाई के लिए सुंदर स्त्री वह अपने लिए सुंदर वर मांगती है ।
- 23 रामनवमी चैत्र शुक्ल नवमी को श्री रामचंद्र जी का जन्म दिवस मनाया जाता है।
- 24 अक्षय तृतीया इसे आखा तीज भी कहते हैं यह वैशाख मास की शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है इस दिन किसान सात अन्न व हल बैल की पूजा करते हैं।
- 25.हरियाली अमावस- यह त्योहार श्रावण अमावश्या को मनाया जाता है इस दिन ब्राह्मणो को भोजन करने और कल्प वृक्ष की पूजा करने की परम्परा है राज्य के अजमेर ज़िले के मांगलियावास में कल्प वृक्ष मेला भरता है
ईसाईयों के त्यौहार ( Festivals of Christians )
- 1 क्रिसमस डे ( Christmas Day ) – 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्म दिवस के रूप में मनाते हैं ।
- 2 गुड फ्राइडे ईसा मसीह की शहादत के रुप में मनाया जाता है।
- 3 ईस्टर ईसा मसीह के पुनर्जन्म के उपलक्ष में यह दिवस मनाया जाता है ।
मुस्लिम पर्व ( Muslim festival )
- 1 ईद उल फितर रमजान माह के रोजे रखने के बाद रमजान की समाप्ति पर शव्वाल माह की पहली तारीख को चांद देख कर ईद उल फितर मीठी ईद के रूप में मनाते हैं ।
- 2 ईद उल जुहा कुर्बानी पर्व के रूप में मनाते हैं बकरा ईद भी कहते हैं ।
- 3 मुहर्रम हुसैन इमाम की बलिदान की याद में मनाते हैं इस दिन उपवास रखते और ताजिए निकालते हैं ।
- 4 बारवफ़ात मोहम्मद साहब के जन्म की याद में श्रद्धा पूर्वक यह पर्व मनाते हैं खीर व चावल चावल पका कर गरीबों में बांटते हैं ।
- 5 शबे बरात सावन माह की 14वी तारीख को मनाया जाता है मोहम्मद साहब को मुक्ति प्राप्त हुई थी ।
जैन समाज के प्रमुख पर्व ( festivals of Jain )
जैन पर्वों का संबंध लौकिक जगत से न होकर आत्मा से है आत्मशुद्धि जैन पर्व की पहली विशेषता है
- 1. दशलक्षण पर्व- यह पर्व प्रतिवर्ष चैत्र भाद्रपद में माघ माह की शुक्ल पंचमी से पूर्णिमा तक मनाया जाता है यह पर्व किसी व्यक्ति से संबंधित न होकर आत्मा के गुणों से संबंधित है
- 2. पर्युषण पर्व- यह जैन धर्म का महापर्व कहलाता है पर्युषण का अर्थ है निकट बसना, दिगंबर परंपरा में इस पर्व का नाम दसलक्षण के साथ जुड़ा हुआ है जिसका प्रारंभ भाद्र शुक्ल पंचमी से होता है और समापन चतुर्दशी को
श्वेतांबर परंपरा में इस पर्व क प्रारंभ भाद्रपद कृष्ण 12 से होता है समापन भाद्रपद शुक्ल पंचमी को होता है अंतिम दिन संवत्सरी पर्व मनाया जाता है जैन समाज के लोग अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करते हैं - 3. ऋषभ जयंती- चैत्र कृष्ण नवमी को, जैन समाज के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव जी का जन्म
- 4. महावीर जयंती- चैत्र शुक्ल त्रयोदशी, चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर जी का जन्म, श्री महावीर जी करौली में इस दिन विशाल मेला भरता है
- 5. सुगंध दशमी पर्व- भाद्रपद शुक्ल दशमी, जैन मंदिरों में सुगंधित द्रव्यों द्वारा सुगंध कर के यह पर्व मनाया जाता है
- 6. रोट तीज- भाद्रपद शुक्ल तृतीया को
- 7. पड़वा ढोक- दिगंबर जैन समाज का क्षमा याचना पर्व, आश्विन कृष्ण एकम को
प्रमुख उर्स ( Major Urs )
1. ख्वाजा साहब का उर्स :
- अजमेर में
- ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में 1 रज्जब से 6 रज्जब तक भरने वाला उर्स
- यह मुसलमानों का राजस्थानों में सबसे बड़ा उर्स/मेला माना जाता है।
2. गलियाकोट का उर्स :
- डूंगरपुर जिले में माही नदी के निकट गलियाकोट मे
- गलियाकोट दाउदी बोहरों का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है
- यहाँ फकरुद्दीन पीर की मजार पर प्रतिवर्ष उर्स आयोजित किया जाता है।
3. तारकीन का उर्स :
- नागौर में
- काजी हमीदुद्दीन नागौरी की दरगाह पर उर्स भरता है।
- यह राजस्थान का दूसरा बडा उर्स माना जाता है।
4. नरहड़ की दरगाह :
- नरहड़ (झुंझुनू) में
- हजरत हाजिब शक्कर बादशाह की दरगाह जो की शक्कर पीर की दरगाह के नाम से भी प्रसिद्ध है।
- कृष्ण जन्म अष्टमी के दिन मेला भरता है।
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