Rajasthan ki Sinchai Pariyojana
Rajasthan ki Sinchai Pariyojana (राज्य की प्रमुख सिचाई)
- भाँखड़ा नाँगल परियोजना
- व्यास परियोजना
- चम्बल घाटी परियोजना
- माही परियोजना
ये परियोजनाए बहुउद्देश्य परियोजनाए भी है इनसे सिचाई पेयजल एंव विद्युत की पुर्ति करवायी जाती है
1. भांखड़ा नाँगल परियोजना (Bhankha Nagal Project)
यह देश की सबसे बड़ी नदी घाटी बहुउद्देशीय परियोजना है जो कि राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की मिश्रित परियोजना है
इस परियोजना के निर्माण का सर्वप्रथम विचार 1908 में लुईस डेने के दिमाग में आया स्वतंत्रता के बाद मार्च 1948 में इसके निर्माण का कार्य शुरू हुआ
इस परियोजना का निर्माण दो चरणों में हुआ जिसमें दो बांध बनाए गए
भाखड़ा बांध
- यह देश का दूसरा सबसे ऊंचा बांध है विश्व का दूसरा और एशिया का सबसे ऊंचा कंक्रीट निर्मित गुरुत्व सीधा बांध है
- जिसकी आधारशिला 17 नवंबर 1955 को देश के प्रधानमंत्री Jawahar Lal Nehru द्वारा रखी गई जो कि अक्टूबर 1962 में अमेरिकी बांध निर्माता हार्वे स्लोकेम के निर्देश में बनकर तैयार हुआ
- जिसे 22 अक्टूबर 1963 को जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्र को समर्पित कर दिया
- इस बांध का निर्माण सतलज नदी पर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में किया गया इस बांध की ऊंचाई 225.55 मीटर ( 740 फीट ) है
- लंबाई 518.16 मीटर(1700 फिट) है चौड़ाई 9.14 मीटर (30 फीट) है इस बांध के पीछे के जलाशय को गोविंद सागर झील कहां जाता है
- जो की भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की कृत्रिम झील है
भाखड़ा बांध के पिछे बिलासपुर में बने विशाल जलाशय का नाम गोविंद सागर है
जो पंजाब में हरियाणा में राजस्थान की पेयजल व सिंचाई तथा दिल्ली से चंडीगढ़ की पेयजल आवश्यकताओं को पूरी करता है
भारत का सबसे ऊंचा बांध टिहरी बांध है जिसकी ऊंचाई 261 मिटर हैं इस बांध के दोनों किनारों पर विद्युत संयंत्र स्थापित किए गये है
नाँगल बांध
यह बांध 1952 में बनकर तैयार हुआ सतलज नदी पर भाखड़ा बांध से 13 किलोमीटर नीचे बनाया गया है
यह बांध पंजाब की रोपण जिले में बनाया गया है इस बांध की लंबाई 340.8 मीटर(1000 फीट) & उचांई 29 मीटर (95 फिट) है
इस बांध पर दो विद्युत संयत्र लगाए गए हैं जो निम्न है
1.गंगेवाल
2.कोटला
इस बांध से सिंचाई के लिए सिचाई के लिए दो नहरे निकाली गई हैं
1. बारी बिस्ट दोआब
2. भांखड़ा नहर
- Note राजस्थान को भाखड़ा नांगल परियोजना से पंजाब सरकार व राजस्थान के मध्य 1959 में हुए भाखड़ा नांगल समझौते के तहत 15.22 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त हुआ है
- इस परियोजना से सर्वाधिक सिंचाई हनुमानगढ़ जिले में होती है
- चूरु गंगानगर हनुमानगढ़ सीकर झुंझुनू से बिकानेर जिलों को विद्युत प्राप्त होती है
इस परियोजना की कुल विद्युत क्षमता 1493 मेगा वाट हैं सिचाई क्षमता 14.6 लाख हेक्टेयर है
जिसमें से राजस्थान को 2.3 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर सिचाई उपलब्ध होती है राजस्थान को 227.32 MW विद्युत प्राप्त होती है
2. चंबल नदी घाटी परियोजना (Chambal River Valley Project)
यह परियोजना राजस्थान और मध्यप्रदेश की मिश्रित परियोजना है
जिसमें से राजस्थान और मध्य प्रदेश का 50- 50 प्रतिशत हिस्सा है इस परियोजना का निर्माण तीन चरणों में पूरा हुआ
1. पहला चरण 1953 से 1960 तक- इस चरण में दो बांध बनाए गए ( गांधी सागर & कोटा बैराज )
2 .दूसरा चरण 1960 से 1970 तक– इस चरण में राणा प्रताप सागर बांध बनाया गया
3. तीसरा चरण 1962 से 1973 तक – इस चरण में जवाहर सागर बांध बनाया गया
1 पहला चरण 1953 से 1960 तक
- गांधी सागर बांध यह चंबल नदी पर निर्मित सबसे पहला और सबसे बड़ा बांध है
- इस बांध का निर्माण 1960 में पूरा हुआ यह बांध मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में भानपुरा तहसील में चंबल नदी पर है
- इस बांध पर 23 मेगा वाट की 5 विद्युत इकाइयां लगाई गई हैं जिनसे 115 मेगा वाट के विद्युत प्राप्त होती है
- कोटा बैराज यह चंबल पर निर्मित दूसरा बांध है यह राजस्थान में बनाया गया चंबल पर पहला बांध है
- इस बांध विद्युत उत्पादन नहीं होता है केवल सिंचाई के लिए जल काम में लिया जाता है
- इनसे दो नहरें निकाली गई हैं
- 1 दायी नहर
- 2.बांयी नहर
- दायी नहर राजस्थान और मध्यप्रदेश दोनों में सिंचाई करती है
- इस नहर से 8 लिफ्ट नहर निकाली गई हैं जिनमें से दो कोटा में सिंचाई करती हैं
- और 6 बांरा में सिंचाई करती हैं
- बांयी नहर से केवल राजस्थान मे सिचाई होती है
2 दूसरा चरण 1960 से 1970 तक
- राणा प्रताप सागर बांध चंबल नदी पर निर्मित चित्तौड़गढ़ के रावतभाटा में स्थित है
- इस बांध पर 43 मेगा वाट की 4 विद्युत इकाइयां लगाई गई हैं
- जिनसे कुल 172 मेगा वाट विद्युत उत्पन्न होती है
- इस बांध की लंबाई 110 मीटर ऊंचाई 36 मीटर इस बांध से 1.2 लाख हैक्टर क्षेत्र पर सिचाई होती है
3 तीसरा चरण 1962 से 1973 तक
- जवाहर सागर बांध कोटा के बोरावास नामक स्थान पर चंबल नदी पर बनाया गया है
- इस बांध पर 33 मेगावाट की 3 विद्युत इकाइयां लगी हैं जिनसे 99 मेगा वाट विद्युत उत्पन्न होती है चंबल नदी पर कुल विद्युत का उत्पादन 386 मेगा वाट होता है
- और 4.58 लाख हेक्टर क्षेत्रफल सिंचाई सुविधा उपलब्ध होती है
- जिसमें से राजस्थान को 50% हिस्सा प्राप्त होता है
3. माही नदी घाटी परियोजना
- राजस्थान और गुजरात की मिश्रित परियोजना है
- जिसमें राजस्थान का 45% हिस्सा और गुजरात का 55% हिस्सा है
- इस नदी पर तीन बांध स्थित है माही बजाज सागर बांध, कागदी पिकअप वियर बांध ये दोनों बांसवाड़ा में स्थित हैं कडाना बांध पंचमहल गुजरात में स्थित है
- इस नदी घाटी परियोजना से कुल विद्युत का उत्पादन 140 मेगा वाट होता है
- इससे 8.8 लाख हेक्टर पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध होती है
इन्दिरा गांधी नहर परियोजना
- यह परियोजना पूर्ण होने पर विश्व की सबसे बड़ी परियोजना होगी इसे प्रदेश की जीवन रेखा/मरूगंगा भी कहा जाता है।
- पहले इसका नाम राजस्थान नहर था। 2 नवम्बर 1984 को इसका नाम इन्दिरा गांधी नहर परियोजना कर दिया गया है।
- बीकानेर के इंजीनियर कंवर सैन ने 1948 में भारत सरकार के समक्ष एक प्रतिवेदन पेश किया जिसका विषय बीकानेर राज्य में पानी की आवश्यकता था।
- IGNP का मुख्यालय(बोर्ड) जयपुर में है।
- इस नहर का निर्माण का मुख्य उद्द्देश्य- रावी व्यास नदियों के जल से राजस्थान को आवंटित 86 लाख एकड़ घन फीट जल को उपयोग में लेना है।
- नहर निर्माण के लिए सबसे पहले फिरोजपुर में सतलज, व्यास नदियों के संगम पर 1952 में हरिकै बैराज का निर्माण किया गया।
- हरिकै बैराज से बाड़मेर के गडरा रोड़ तक नहर बनाने का लक्ष्य रखा गया।
- जिससे श्री गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर व बाड़मेर को जलापूर्ति हो सके।
- नहर’ निर्माण कार्य का श्री गणेश तात्कालिक ग्रहमंत्री श्री गोविन्द वल्लभ पंत ने 31 मार्च 1958 को किया ।
- 11 अक्टुबर 1961 को इससे सिंचाई प्रारम्भ हो गई
- जब तात्कालिन उपराष्ट्रपति डा. राधाकृष्णनन ने नहर की नौरंगदेसर वितरिका में जल प्रवाहित किया था।
- IGNP के दो भाग हैं। प्रथम भाग राजस्थान फीडर कहलाता है इसकी लम्बाई 204 कि.मी.(169 कि.मी. पंजाब व हरियाणा + 35 कि.मी. राजस्थान) है।
- जो हरिकै बैराज से हनुमानगढ़ के मसीतावाली हैड तक विस्तारित है। नहर के इस भाग में जल का दोहन नहीं होता है।
- IGNP का दुसरा भाग मुख्य नहर है। इसकी लम्बाई 445 किमी. है।
- यह मसीतावाली से जैसलमेर के मोहनगढ़ कस्बे तक विस्तारित है।
- इस प्रकार IGNP की कुल लम्बाई 649 किमी. है। इसकी वितरिकाओं की लम्बाई 9060 किमी. है।
- IGNP के निर्माण के प्रथम चरण में राजस्थान फीडर सूरतगढ़, अनुपगढ़, पुगल शाखा का निर्माण हुआ है।
- राजस्थान फीडर का निर्माण कार्य सन् 1975 में पूरा हुआ।
नहर का द्वितीय चरण बीकानेर के पूगल क्षेत्र के सतासर गांव से प्रारम्भ हुआ था।
जैसलमेर के मोहनगढ़ कस्बे में द्वितीय चरण पूरा हुआ है। इसलिए मोहनगढ़ कस्बे को IGNP का ZERO POINT कहते हैं।
द्वितीय चरण का कार्य 1972-73 में पुरा हुआ है।
IGNP के द्वारा राज्य के आठ जिलों- हनुमानगढ़, श्री गंगानगर, चूरू, बीकानेर, जोधपुर, नागौर, जैसलमेर एवं बाड़मेर में सिंचाई हो रही है या होगी।
इनमें से सर्वाधिक कमाण्ड क्षेत्र क्रमशः जैसलमेर एवं बीकानेर जिलों का है।
इन्दिरा गांधी नहर परियोजना से निम्नलिखीत नहर निकाली गई है।
i) गंधेली(नोहर) साहवा लिफ्ट(पुराना नाम) – चैधरी कुम्भाराम लिफ्ट नहर(नया नाम)- हनुमानगढ़, चुरू, झुंझुनू(लाभान्वित जिले)
ii) बीकानेर – लुणकरणसर लिफ्ट(पुराना नाम) – कंवरसेन लिफ्ट नहर(नया नाम)- श्री गंगानगर, बीकानेर(लाभान्वित जिले)
iii) गजनेर लिफ्ट नहर(पुराना नाम) – पन्नालाल बारूपाल लिफ्ट नहर (नया नाम) – बीकानेर, नागौर(लाभान्वित जिले)
iv) बांगड़सर लिफ्ट नहर(पुराना नाम) – भैरूदम चालनी वीर तेजाजी लिफ्ट नहर (नया नाम) – बीकानेर(लाभान्वित जिले)
v) कोलायत लिफ्ट नहर(पुराना नाम) – डा. करणी सिंह लिफ्ट नहर (नया नाम) – बीकानेर, जोधपुर(लाभान्वित जिले)
vi) फलौदी लिफ्ट नहर(पुराना नाम) – गुरू जम्भेश्वर जलो उत्थान योजना (नया नाम) – जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर(लाभान्वित जिले)
vii) पोकरण लिफ्ट नहर(पुराना नाम) -जयनारायण व्यास लिफ्ट (नया नाम) – जैसलमेर, जोधपुर(लाभान्वित जिले)
viii) जोधपुर लिफ्ट नहर(170 किमी. + 30 किमी. तक पाईप लाईन)(पुराना नाम) – राजीवगांधी लिफ्ट नहर (नया नाम) – जोधपुर(लाभान्वित जिले)
नर्मदा नहर परियोजना ( Narmada Canal Project
नर्मदा नहर को मारवाड़ की जीवन रेखा कहा जाता है यह परियोजना गुजरात, राजस्थान, मद्ये प्रदेश चार राज्यों की संयुक्त परियोजना है
इस परियोजना को सरदार सरोवर बांध परियोजना व् मारवाड़ की भागीरथी गंगा के नाम से जाना जाता है.
इस परियोजना में राजस्थान का हिस्सा 0.05 एम.ए.एफ.है यह राजस्थान की पहली परियोजना है
जिससे सम्पूर्ण सिंचाई ‘ फंवारा पद्धति बूँद-बूँद पर की जाती है.
Rajasthan ki Sinchai Pariyojana
इस परियोजना के तहत सरदार सरोवर बांध से नहरों के द्वारा सिंचाई की जाती है
इस परियोजना के तहत सर्वप्रथम राजस्थान मे सिलू गॉंव (जालोर )में 27 मार्च, 2008 को आया !
नर्मदा नहर परियोजना से राजस्थान के जालौर व् बाड़मेर ज़िलों के 1336 गाँवो को पेयजल एंव 2.46 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की जाती है नर्मदा बचाओ आंदोलन का सम्बन्ध बाबा आम्टे व् अरुंधति राय मेघापाटकर से है
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