Separation of powers
Separation of powers (शक्ति पृथक्करण, नियंत्रण एवं संतुलन)
शक्ति पृथक्करण सिद्धांत का अर्थ
सरकार के तीन अंग होते हैं व्यवस्थापिका जो कानून निर्माण का काम करती है कार्यपालिका दो विधियों को लागू करती हैं न्यायपालिका जो कानून की व्याख्या वह विवादों का निर्णय करती है
सरकार के तीनों अंगों में पारस्परिक संबंधों को निर्धारित करने के लिए मॉन्टेस्क्यू ने शक्ति पृथक्करण सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
शक्ति पृथक्करण की आवश्यकता
विभिन्न राजनीतिक विद्वानों जैसे जॉन लॉक मॉन्टेस्क्यू Cf स्ट्रांग ला पांलोबरा आदि ने शक्ति पृथक्करण के महत्व को प्रतिपादित किया। इस सिद्धांत की उपयोगिता के निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं।
- नागरिक स्वतंत्रता के अधिकारों के संरक्षण के लिए
- राजनीतिक शक्ति के दुरुपयोग से बचने हेतु।
- कार्य विभाजन के विशेषीकरण वह कार्य कुशलता में वृद्धि हेतु।
- सरकार के विभिन्न अंगों का उत्तरदायित्व सुरक्षित करने हेतु।
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता कायम करने हेतु।
- शासन कार्यों को सरल व सुविधाजनक बनाने हेतु।
- शक्ति को शक्ति द्वारा नियंत्रित करने हेतु।
सिद्धांत का विकास
- शक्ति पृथक्करण सिद्धांत का विधिवत प्रतिपादन मॉन्टेस्क्यू के द्वारा किया गया।
- अरस्तु के काल में भी शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत देखा गया। क्योंकि अरस्तू ने सरकार को तीन भागों में बांटा था जैसे असेंबली मजिस्ट्रेट और जुडिशरी।
- फ्रांस के विचारक जीन बोंदा ने 16वी सदी में न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर बल दिया और इसे कार्यपालिका के नियंत्रण से मुक्त रखने की वकालत की।
- जॉन लॉक के द्वारा 17 वी सदी में अपनी पुस्तक “”शासन पर दो निबंध””” मैं शक्तियों के पृथक्करण सिद्धांत पर बल दिया और शासन को तीन भागों में विभाजित किया।
शक्ति पृथक्करण सिद्धांत पर मॉन्टेस्क्यू के विचार
- शक्ति पृथक्करण सिद्धांत की सर्वप्रथम वैज्ञानिक व स्पष्ट व्याख्या सर्वप्रथम मॉन्टेस्क्यू के द्वारा की गई थी । इसलिए उसे शक्ति_पृथक्करण सिद्धांत का जनक कहा जाता है।
- 18 वीं शताब्दी में मॉन्टेस्क्यू के समय फ्रांस के लुई 14 का शासन था। उसका कहना था कि “””मैं ही राज्यहू । इसके बाद मॉन्टेस्क्यू ने फ्रांस और इंग्लैंड की शासन व्यवस्था की तुलना की और वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि फ्रांस में शक्तियां राजा के पास केंद्रित हैं। जबकि ब्रिटेन में शक्तियों का पृथक्करण है।
- मॉन्टेस्क्यू ने 1748 में अपनी पुस्तक स्पीरिट आफ द लांज मैं शक्ति_पृथक्करण सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
संयुक्त राज्य अमेरिका में शक्ति पृथक्करण सिद्धांत।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान निर्माताओं पर मॉन्टेस्क्यू के शक्ति_पृथक्करण सिद्धांत का अत्यधिक प्रभाव पड़ा अतःअमेरिका में शक्ति_पृथक्करण तथा नियंत्रण में संतुलन की प्रणाली है।
- अमेरिका के प्रसिद्ध संविधान निर्माता जेम्स मैडिसन का मत था कि””James medicine का मत था कि वैधानिक कार्यकारी तथा न्यायिक शक्तियों का एक ही हाथ में केंद्रीकरण चाहे वह 1 व्यक्तियों अथवा कुछ व्यक्तियों अथवा बहुत से व्यक्ति हो चाहे वह वंशानुगत हो स्वत्व नियुक्त हो अथवा निर्वाचित अत्याचारी शासन की सही परिभाषा कही जा सकती है”””!
- अमेरिकी संविधान सरकार के तीनों अंगों को अलग-अलग तथा एक दूसरे से स्वतंत्र रखना चाहते थे राष्ट्रपति जिन का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष होता है कार्यपालिका का प्रमुख होता है वह अपनी शक्तियों के लिए कांग्रेस के प्रति उत्तरदाई नहीं है सामान्यतया कांग्रेस राष्ट्रपति को समय से पूर्व नहीं हटा सकती उसके मंत्री केवल उसी के प्रति उत्तरदाई होते हैं।
- अमेरिका में कांग्रेस भी राष्ट्रपति के नियंत्रण से स्वतंत्र है राष्ट्रपति कांग्रेस को भंग नहीं कर सकता वह या उसके मंत्री कांग्रेस सदस्य नहीं बन सकते नहीं उसकी कार्रवाई में भाग ले सकते हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय भी इसी प्रकार स्वतंत्र है न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति सीनेट की स्वीकृति से करता है। इन्हें केवल महाभियोग के द्वारा हटाया जा सकता है।
शक्तिके पृथक्करण का सिद्धांत
सिद्धांत की पृष्ठभूमि राजनीति शास्त्र के जनक अरस्तु ने सरकार को 3 विभागों में बांटा है
- असेंबली ,
- मजिस्ट्रेट,
- जुडिशरी
उसने आधुनिक व्यवस्थापन शासन तथा न्याय विभागों का ही बोध होता है
Separation of powers का विधिवत प्रतिपादन सर्वप्रथम फ्रांसीसी विचारक मॉन्टेस्क्यू ने किया अपनी पुस्तक “the spirit of the law’s” मैं किया