Stock Exchange
Stock Exchange (स्टॉक एक्सचेंज)
स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) आधुनिक व्यावसायिक जगत में बडा ही महत्वपूर्ण स्थान रखती है | किसी भी देश के स्टॉक एक्सचेंज बाज़ार उसके पूँजी बाज़ार में महत्वपूर्ण हिस्से होते है | संसार में इसका विकास संयुक्त पूँजी वाली कम्पनियों के जन्म तथा विकास के साथ प्रारम्भ हुआ लेकिन आधुनिक व्यवसाय प्रधान युग में यह एक अत्यंत महत्यपूर्ण संस्था बन गई है |
यह वह संगठित विपनी है जहाँ कम्पनियाँ निगम अथवा सरकार द्वारा निर्गमित अंश का क्रय विक्रय किया जाता है, जो बेचने के दृष्टी से निर्गमित की गई हो | इस प्रकार आजकल औद्योगिक वित्त के ढ़ाचे को समझाने के लिए स्टॉक एक्सचेंज के कार्य प्रणाली का अध्यन करना आवश्यक है |साधारण शब्दों में स्टॉक एक्सचेंज का आशय एक ऐसे सुसंगठित व स्थायी बाजार से है
जहाँ संयुक्त स्टॉक वाली कंपनियां, सार्वजनिक व्यक्तिगत एवं जनोपयोगी संस्थाओ को शेयर का विक्रय करता है | स्टॉक एक्सचेंज एक प्रकार का वह बाजार है, जहाँ शेयर का क्रय-विक्रय निश्चित नियमों के अनुसार पहले से पंजीकृत शेयरों में ही होता है | स्टॉक एक्सचेंज न तो अपने लिए क्रयकरता है, और ना ही अपने लिए शेयरों का विक्रय करता है | यह बाजार केवल क्रय-विक्रय की क्रियाओ को नियमित करता है |
भारत में स्टॉक एक्सचेंज ( Stock Exchange in India )
भारत में शेयर कारोबार का प्रारंभ 1830 ईस्वी में हुआ था जब मुंबई में कॉटन मील एवं बैंकों के अंशों में लेन-देन करना प्रारंभ हुआ था| 1855 में मुंबई के कुछ गुजराती एवं पारसी दलालों ने मुंबई टाउन हॉल के पास बैठकर शेयर कारोबार प्रारंभ किया| धीरे-धीरे इन दलालों की संख्या बढ़ने लगी| 1874 में यह ^दलाल स्ट्रीट^ में बैठकर शेयर का कारोबार करने लगे|
1875 में इन्होंने “The Native Share & Stock Broker’s Association’ नाम से मुंबई में एशिया के पहले स्टॉक एक्सचेंज “बंबई स्टॉक एक्सचेंज” का विधिवत रूप से पंजीयन करवाया।
1887 में इस एक्सचेंज ने अपने अंतर नियम एवं सीमा नियमों का पंजीकरण करवाया। 2002 में स्टॉक एक्सचेंज का नाम परिवर्तित कर “बम्बई स्टॉक एक्सचेंज” (BSE) कर दिया गया| यह वर्तमान में एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत हैं|
वर्तमान में यह देश का सबसे बड़ा तथा विश्व का 11वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है| विश्व में पहला संगठित शेयर बाजार एम्स्टर्डम (नीदरलैंड) में 1602 में स्थापित हुआ था| वर्तमान में भारत में कुल 36 स्टॉक एक्सचेंज है|
इनमें से वर्तमान में सेबी से मान्यता प्राप्त 19 स्टॉक एक्सचेंज है तथा 17 स्टॉक एक्सचेंज को सेबी द्वारा मान्यता सूची से बाहर कर दिया गया है|
भारत में मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों की सूची ( List of recognized Stock Exchange in India )
स्टॉक एक्सचेंज एक ऐसी जगह है जहां निवेशक कंपनियों में शेयरों को खरीदते हैं और बेचते हैं. अब तक देश में 23 सेबी के स्वीकृत स्टॉक एक्सचेंज हैं।
- उत्तर प्रदेश स्टॉक एक्सचेंज, कानपुर
- वड़ोदरा स्टॉक एक्सचेंज, वडोदरा
- कोयंबटूर स्टॉक एक्सचेंज, कोयम्बटूर
- मेरठ स्टॉक एक्सचेंज, मेरठ
- मुंबई स्टॉक एक्सचेंज, मुंबई
- ओवर द काउंटर एक्सचेंज, मुंबई
- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, मुंबई
- अहमदाबाद स्टॉक एक्सचेंज, अहमदाबाद
- बैंगलुरू स्टॉक एक्सचेंज, बैंगलुरू
- भुवनेश्वर स्टॉक एक्सचेंज, भुवनेश्वर
- कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज, कोलकाता
- कोचीन स्टॉक एक्सचेंज, कोचीन
- दिल्ली स्टॉक एक्सचेंज, दिल्ली
- गुवाहाटी स्टॉक एक्सचेंज, गुवाहाटी
- हैदराबाद स्टॉक एक्सचेंज, हैदराबाद
- जयपुर स्टॉक एक्सचेंज, जयपुर
- केनरा स्टॉक एक्सचेंज, मैंगलोर
- लुधियाना स्टॉक एक्सचेंज, लुधियाना
- चेन्नई स्टॉक एक्सचेंज, चेन्नई
- मध्य प्रदेश स्टॉक एक्सचेंज, इंदौर
- मगध स्टॉक एक्सचेंज, पटना
- पुणे स्टॉक एक्सचेंज, पुणे
- कैपिटल स्टॉक एक्सचेंज केरल लिमिटेड, तिरुवनंतपुरम, केरल
जुलाई 9, 2007 को सेबी ने सुस्त कामकाज के कारण सौराष्ट्र स्टॉक एक्सचेंज, राजकोट की मान्यता रद्द कर दी है जिसके कारण अब सक्रीय स्टॉक एक्सचेंज की संख्या घटकर 23 हो गई है।
स्टॉक एक्सचेंज के कार्य ( Work of Stock Exchange)
1. पूँजी रचना:- स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर के भाव सम्बन्धी बातो का प्रकाशन नागरिकों को बचत के लिए प्रोत्साहित करता है, जिनके पास बचत है, उनको शेयरों में लगाने के लिएप्रेरित करता है | इसका प्रभाव यह होता है की पूँजी की व्यवस्थित रचना होती है |
2.पूँजी की तरलता तथा गतिशीलता :- स्टॉक एक्सचेंज का दूसरा महत्यपूर्ण कार्य एक और पूँजी को तरलता प्रदान करना तथा दूसरी ओर गतिशीलता लाना है | स्टॉक एक्सचेंज में शेयर का क्रय-विक्रय किसी भी समय किया जा सकता है, जिससे स्टॉक में तरलता आ जाती है अर्थात विनियोजक(शेयर होल्डर) किसी भी समय अपनी लगाई हुई पूँजी को वापस निकाल सकता है | यदि कोई शेयर कम कीमत वाली है, या कम लाभप्रद शेयर ख़रीदी जा सकती है, इस प्रकार शेयरों में गतिशीलता आ जाती है |
3. तैयार एवं निरंतर बाज़ार
1. स्टॉक एक्सचेंज का तीसरा कार्य बाजार तैयार करना एवं निरंतर उपलब्ध कराना है | इनबाजारों में हर समय क्रेता-विक्रेता पाये जाते हैं, जिससे बाजार में निरंतरता बनी रहती है |
2. मूल्य निर्धारण :-मूल्य निर्धारण स्टॉक एक्सचेंज का चौथा महत्यपूर्ण कार्य है | स्टॉक एक्सचेंज परे शेयरों के मूल्यों का निर्धारण राजनैतिक, सामाजिक, रास्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पहलुओं कोध्यान में रखकार किया जाता है ताकि उचित मूल्य निर्धारित हो सके क्योंकिशेयर लेने वाले अपने धन को उन्हीं शेयरों में लगाते हैं, जो उनके लिये अधिक लाभदायक हों
3. व्यवहार में सुरक्षा :-स्टॉक एक्सचेंज निश्चित नियमों के अंतर्गत कार्य करते हैं | जिससे जाली शेयरों के क्रय-विक्रय का भय ख़त्म हो जाता है, तथा साथ ही क्रय-विक्रय का ढंग तथा कमिशन भी उचित तारिके से निश्चितहो जाता है, ताकि उपभोक्ताओं में भी विश्वास पैदा हो |
यदि कोई सदस्य स्टॉक एक्सचेंज के नियमो का पालन नहीं करता है, तो उसे दण्डित किया जा सकता है, तथा समय आने पर स्टॉक एक्सचेंज से निकाला जा सकता है | इस प्रकार स्टॉक एक्सचेंज नियोजक को सुरक्षा प्रदान करता है |
4. अनुसूचित कंपनियों के बारे में पूर्ण जानकारी :-स्टॉक एक्सचेंज का एक कार्य अनुसुचित कम्पनी के बारे में आर्थिक सूचनायें एकत्रित करके उसका प्रकाशन करना है, ताकि सदस्यों को उस कंपनी के बारे में विस्तृत जानकारी हो सके | जो सूचनायें प्रकाशित न हुआ हो उनको भी अगर कोई सदस्य मांगे तो वह उसको दे दी जाती है|
5. नयी पूँजी प्राप्ति में सहायक:- प्रायः कम्पनियाँ अपने विकास के लिए नयी पूँजी की आवश्यकता महसूस करती है| इसके लिए कम्पनियाँ जनता से नए आॅफर निर्गमन करती है ऐसा निर्गमन करकेपूँजी एकत्रित करने में स्टॉक एक्सचेंज बड़ी सहायता करते हैं |
6. अर्थिक प्रगति का माप :-स्टॉक एक्सचेंज किसी भी देश की अर्थिक प्रगति का बैरोमीटर कहलाता है क्योकि देश की अर्थिक प्रगती का अनुमान उस देश के स्टॉक एक्सचेंज को देखकर लगाया जा सकता है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ( Bombay Stock Exchange – BSE )
Bombay Stock Exchange
विश्व में सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज न्यूजीलैंड में स्थित है भारत और एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज BSE है। इसकी स्थापना 9 July, 1875 में हुई थी। इस एक्सचेंज की पहुंच 417 शहरों तक है, 5000 से अधिक भारतीय कंपनियां पंजीकृत हैं सेंसेक्स का आधार वर्ष 1978-79 है सेंसेक्स में 30 कंपनियों को समाहित किया गया है, जिसकी गणना मार्केट कैपिटलाइजेशन-वेटेज मेथाडोलाजी के आधार पर की जाती है।
सेंसेक्स में 30 कंपनियों को समाहित किया गया है, जिसकी गणना मार्केट कैपिटलाइजेशन-वेटेज मेथाडोलाजी के आधार पर की जाती है।भारत में शेयर बाजार का मापक मुंबई शेयर बाजार (बीएसई) का संवेदी सूचकांक है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भारतीय शेयर बाज़ार के दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों में से एक है। दूसरा एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है।
भारत को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजार में अपना श्रेष्ठ स्थान दिलाने में बीएसई की अहम भूमिका है। एशिया के सबसे प्राचीन और देश के प्रथम स्टॉक एक्सचेंज को – बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज सिक्युरिटीज कांट्रेक्ट रेग्युलेशन एक्ट 1956 के तहत स्थाई मान्यता मिली है। इसका लक्ष्य ‘वैश्विक कीर्ति की पताका फहराकर प्रमुख भारतीय स्टाक एक्सचेंज के रूप में उभरना’
भारतीय पूंजी बाजार के विकास में इस एक्सचेंज की व्यापक भूमिका रही है और इसका सूचकांक विश्वविख्यात है। मैनेजिंग डायरेक्टर के नेतृत्व में डायरेक्टर्स बोर्ड द्वारा एक्सचेंज का संचालन होता है। इस बोर्ड में प्रतिष्ठित प्रोफेशनल्स, ट्रेडिंग सदस्यों के प्रतिनिधियों और सार्वजनिक प्रतिनिधियों का समावेश है।
एक्सचेंज भारत के छोटे – बड़े शहरों में अपनी उपस्थिति के साथ राष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ है। बीएसई की सिस्टम और प्रक्रिया ऐसी है कि बाजार की पारदर्शिता और सुरक्षा बनी रहे।
वैश्विक कीर्तिमान स्थापित कर, सर्वोच्च स्टाक एक्सचेंज के रूप में उभरने वाले इस एक्सचेंज के पास सवा सौ से अधिक वर्षों के भव्य इतिहास की समृद्ध विरासत है।
एक्सचेंज में `ट्रेडिंग राइट’ और `ओनरशिप राइट’ एक दूसरे से अलग है। ऐसी परिस्थिती में निवेशकों के हितों पर विशेष सावधानी बरती जाती है। एक्सचेंज इक्विटी, डेब्ट तथा प्युचर्स और ऑप्शन के व्यापार के लिए ढांचा एवं पारदर्शक ट्रेडिंग सिस्टम सुनिश्चित करता है। बीएसई की आनलाइन ट्रेडिंग प्रणाली बेहतरीन गुणवत्तावाली है।
आजकल संवेदी सूचकांक के 30 शेयर बीएसई के कुल पूंजीकरण का लगभग 15वां हिस्सा है।
वर्तमान में BSC के अंतर्गत 5 शेयर सूचकांक कार्य कर रहे हैं
1.सेंसेक्स( Sensex )– इसे संवेदी सूचकांक द्वारा मापा जाता है ।
2.बीएसई 500 ( BSE 500 )- इस नए सूचकांक का परिचालन वर्ष 1999में BSE द्वारा किया गया यह इसका सबसे बड़े आधार वाला सूचकांक है।
3. बीएसई 200(BSE 200 )- 200 बड़े आधार वाली कंपनियों का शेयर सूचकांक है इसमें शेयर का मूल्य अमेरिकी डॉलर में भी दर्शाया जाता है इसलिए इसे डॉलेक्स भी कहा जाता है।
4. राष्ट्रीय सूचकांक (National indices ) – इस सूचकांक में 100 कंपनियां है तथा इसे देश के महत्वपूर्ण प्रादेशिक शेयर बाजारों में कोट किया जाता है
5. इंडो नेक्स्ट (Indo Next )– इसकी स्थापना BSE तथा LFISE द्वारा छोटी कंपनियों के शेयरों की तरलता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से संयुक्त रूप से की गई है ।
BSC सम्बन्धित कुछ तथ्य ( Some BSC related facts )
- इक्विटी डेरीवेटिव्स शुरू करनेवाला भारत का पहला एक्सचेंज
- फ्री प्लोट इंडेक्स शुरू करनेवाला भारत में पहला एक्सचेंज
- यूएस डॉलर आधारित सेन्सेक्स प्रस्तुत करनेवाला भारत का पहला एक्सचेंज
- एक्सचेंज आधारित इंटरनेट ट्रेडिंग प्लेटफार्म स्थापित करनेवाला भारत का पहला एक्सचेंज
- सर्वेलंस, क्लियरिंग और सेटलमेंट के वास्ते आईएसओ प्रमाणपत्र हासिल करनेवाला देश का पहला एक्सचेंज
- फाइनेंशियल ट्रेनिंग के लिए अलग विशेष सुविधा की व्यवस्था करने वाला पहला एक्सचेंज
- यहां वर्तमान में भारत के सकल स्टॉक का 75% कारोबार इसी से होता है ।
नेशनल स्टाॅक एक्सचेंज ( National Stock Exchange – NSE India )
फेरवानी कमेटी की सिफारिशों से शेयर बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने हेतु इसकी स्थापना NSE को 1992 में 25 करोड़ की समता पूंजी के साथ देश में पहली डिम्यूट्यूलाइज्ड इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज ( Demutualized Electronic Exchange ) के रूप में स्थापित किया गया था| इसे 1993 में स्टॉक_एक्सचेंज की मान्यता प्रदान की गई और यह पूरी तरह से परिचालन में 1994 में आया।
इसका मुख्यालय वर्ली (दक्षिणी मुंबई) को बनाया गया। प्रवर्तक IDBI है। इसमें भारत की कंपनियां रजिस्टर्ड है। इसका सूचकांक निफ्टी 500 अग्रिम कंपनियों के शेयरों पर आधारित है। नेशनल स्टाॅक एक्सचेंज भारत का सबसे बडा़ और तकनीकी रुप से अग्रणी स्टाॅक एक्सचेंज हैं।
इस स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) में दो सूचकांक है
- S&P CNX 500
- S&P CNX 50
मुंबई स्टॉक एक्सचेंज द्वारा 22 फरवरी 2012 से पर्यावरण अनुकूल इक्विटी सूचकांक भी जारी करना शुरू किया है जिसे ग्रीन एक्स नाम दिया गया है जिसका उद्देश्य देश में हरित निवेश को बढ़ावा देना है
भारतीय पूंजी बाजार में पारदर्शिता लाने के लिए भारत सरकार के इशारे पर प्रमुख भारतीय वित्तीय संस्थानों के एक समूह द्वारा एनएसई की स्थापना की गई थी| कारोबार के लिहाज से यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टॉक_एक्सचेंज है|
भारतीय अर्थव्यवस्था / जीडीपी का लगभग 4% भारत में स्टॉक_एक्सचेंजों से प्राप्त होता है|
National Stock Exchange – NSE के प्रमुख घरेलू निवेशक
- भारतीय जीवन बीमा निगम
- भारतीय स्टेट बैंक
- आईएफसीआई लिमिटेड
- आईडीएफसी लिमिटेड
- स्टॉक होल्डिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
NSE के प्रमुख वैश्विक निवेशक
- गैगिल एफडीआई लिमिटेड (
- जीएस स्ट्रैटेजिक इनवेस्टमेंट्स लिमिटेड
- एसएआईएफ II एसई इनवेस्टमेंट्स मॉरीशस लिमिटेड (
- एरंडा इन्वेस्टमेंट्स (मॉरीशस) पीटीई लिमिटेड
- पीआई ऑपर्च्यूनिटीज फंड आई
SEBI(सेबी)-Security and exchange board of india
शेयर कारोबार को विनियमित और नियंत्रित करने तथा निवेशकों के हितों को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से 12 अप्रैल 1988 को सेबी की स्थापना की गई 30 जनवरी 1993 को एक अध्यादेश पारित करके इसे कानूनी दर्जा दिया गया यह एक गैर संवैधानिक संस्था है इसका मुख्यालय मुंबई है
सेबी गाइडलाइंस 1999 में संशोधन- सेबी ने 17 जनवरी 2013 को एंप्लोई stock option scheme ESOS तथा एंप्लोई स्टॉक पर्चेज स्कीम ESPS गाइडलाइंस मैं संशोधन किए हैं। कंपनियों को अपने कर्मचारियों के लिए चलाई जा रही बेनिफिट योजनाओं की जानकारी सभी को देना अनिवार्य बना दिया गया है सेबी की सेवाएं 13 भाषाओं में है वेबसाइट पर 13 भारतीय भाषाओं में जानकारी उपलब्ध कराने का फैसला 2 सितंबर 2012 को लिया
केंद्र सरकार ने 23 मई 2012 को खाड़ी देशों और यूरोपीय संघ के सभी सदस्य देशों के निवासियों को भी भारतीय सुपर बाजार में सीधे निवेश करने की अनुमति दी सरकार ने योग्य विदेशी निवेशकों को कॉरपोरेट बॉन्ड और म्यूचुअल फंडों की डेट मे एक अरब डॉलर तक निवेश करने की अनुमति दी।
सेबी की स्थापना ( Establishment of SEBI )
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को हुई थी ।
सेबी की उद्देश्य (Purpose of SEBI )
- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की उद्देशिका में सेबी के मूल कार्यों का उल्लेख इस प्रकार है—
- प्रतिभूतियों (सिक्यूरिटीज़) में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करना|
- प्रतिभूति बाजार (सिक्यूरिटीज़ मार्केट) के विकास का उन्नयन करना तथा उसे विनियमित करना और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना ।
इसके निर्धारित कार्य निम्नलिखित हैं
- प्रतिभूति बाजार (सेक्योरिटीज मार्केट) में निवेशको के हितों का संरक्षण तथा प्रतिभूति बाजार को उचित उपायों के माध्यम से विनियमित एवं विकसित करना।
- स्टॉक एक्सचेंजो तथा किसी भी अन्य प्रतिभूति बाजार के व्यवसाय का नियमन करना।
- स्टॉक ब्रोकर्स, सब-ब्रोकर्स, शेयर ट्रान्सफर एजेंट्स, ट्रस्टीज, मर्चेंट बैंकर्स, अंडर-रायटर्स, पोर्टफोलियो मैनेजर आदि के कार्यो का नियमन करना एवं उन्हें पंजीकृत करना।
- म्यूचुअल फण्ड की सामूहिक निवेश योजनाओ को पंजीकृत करना तथा उनका नियमन करना।
- प्रतिभूतियों के बाजार से सम्बंधित अनुचित व्यापार व्यवहारों को समाप्त करना।
- प्रतिभूति बाजार से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित करना तथा निवेशकों की शिक्षा को प्रोत्साहित करना।
- प्रतिभूतियों की इनसाइडर ट्रेडिंग पर रोक लगाना।
IDBI (Industrial Development Bank of India)
- इसकी स्थापना 1964 में आरबीआई द्वारा मुंबई में की गई।
- आईडीबीआई बैंक भारत में वित्तीय सेवा कंपनी है।
- भारतीय रिजर्व बैंक के एक अन्य सार्वजनिक क्षेत्र बैंक के रूप मेंप आईडीबीआई वर्गीकृत की गई।
- भारतीय उद्योग के विकास के लिए ऋण और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए संसद के एक अधिनियम द्वारा 1964 में इसे स्थापित किया गया।
- इसकी एक शाखा दुबई में, सिंगापुर और बीजिंग में दो विदेशी केंद्र स्थित है।
- वर्तमान में दुनिया में दसवीं सबसे बड़ी बैंक आईडीबीआई बैंक है।
- भारत सरकार के स्वामित्व वाले 26 वाणिज्यिक बैंकों में से एक हैं।
SIDBI (small industrial development Bank of India)
- भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक की स्थापना अप्रैल 1990 में की गई थी।
- यह बैंक भारतीय उद्योग विकास बैंक के पूर्ण स्वामित्व में एक सहायक बैंक के रूप में स्थापित किया गया।
- यह बैंक छोटे पैमाने के उद्योगों की स्थापना हेतु धन उपलब्ध करवाता है।
- 2 अप्रैल 1990 से कार्य प्रारंभ कर दिया था। इसका मुख्यालय लखनऊ में।
- इस बैंक की स्थापना हो जाने पर लघु उद्योगों के लिए जो कार्य IDBI करता था। वह सभी कार्य SIDBI स्थानांतरित कर दिए गए।
- भारतीय मुद्रा के साथ-साथ विदेशी मुद्रा ऋण भी उपलब्ध कराता है।
उपभोक्ता कीमत सूचकांक ( Consumer Price Index – CPI )
अर्थव्यवस्था में कीमतों में परिवर्तन की माप करने की एक विधि है। यह वस्तुओं की दी गई टोकरी, जिनका क्रय प्रतिनिधि उपभोक्ता करते हैं, का कीमत सूचकांक है। उपभोक्ता कीमत सूचकांक को प्रायः प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
हम दो वर्षों पर विचार करते हैं-एक आधार वर्ष होता है तथा दूसरा चालू वर्ष। हम आधार वर्ष में वस्तुओं की दी हुई टोकरी के क्रय की लागत की गणना करते हैं। फिर हम परवर्ती को पूर्ववर्ती के प्रतिशत के रूप में व्यक्त करते हैं।
इससे हमें आधार वर्ष से संबंधित चालू वर्ष का उपभोक्ता कीमत सूचकांक प्राप्त होता है।
सकल राष्ट्रीय उत्पाद ( Gross National Product- GNP)
सकल घरेलू उत्पाद (+) शेष विश्व में नियुक्त उत्पादन के घरेलू कारकों द्वारा अर्जित कारक आय (-) घरेलू अर्थव्यवस्था में नियोजित शेष विश्व के उत्पादन के कारकों द्वारा अर्जित आय। दूसरे शब्दों में सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) किसी देश के नागरिकों द्वारा (देश के भीतर या बाहर) एक वर्ष में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मूल्य से विदेशियों के स्वामित्व वाले उत्पादन के कारकों को की गई अदायगी को घटाने से प्राप्त होता है।
उदाहरण के लिये कोरियाई स्वामित्व की हुंडई कार फैक्ट्री के द्वारा अर्जित लाभ को भारत के सकल घरेलू उत्पाद से घटाना होगा।
राष्ट्रीय शेयर बाजार में की रेफरेंस दरें ( Reference rates of national stock market )
मी बोर एवं मिबिड अंतर बैंक कॉल मनी मार्केट के ऋणों के लिए राष्ट्रीय शेयर बाजार एनएसई में दो नई दरें 15 जून 1998 को प्रारंभ की थी। mibor ( मुंबई इंटर बैंक ऑफर रेट ) तथा mibid (मुंबई इंटर बैंक विद रेट)। mibor डर ऋणों के लिए उधार दर की सूचक है। जबकि mibid प्राप्तियों के लिए उधारदर की सूचक है।
BSE ग्रीन एक्स
इसका उद्घाटन कंपनी मामलों के मंत्री वीरप्पा मोइली ने 22 फरवरी 2012 को स्टॉक एक्सचेंज में घंटी बजा कर किया।
विदेशी मुद्रा का फ्यूचर ट्रेडिंग ( Forex trading of foreign currency )
भारत में सर्वप्रथम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज मुंबई में 29 अगस्त 2008 से विदेशी मुद्रा का वायदा कारोबार शुरू किया गया इसके बाद बीएसई MCX तथाUSEIL को भी विदेशी मुद्रा वायदा कारोबार की आज्ञा दी गई। भारतीय रिजर्व बैंक की आज्ञा के अनुसार प्रारंभ में डॉलर का वायदा कारोबार किया जाता था बाद में सेबी द्वारा यूरो पाउंड तथा येन में भी वायदा कारोबार की अनुमति प्रदान कर दी ।
क्रेडिट रेटिंग (Credit rating )
क्रेडिट रेटिंग ऋणी या उधार लेने वाली की साख क्षमता या उधार लौटाने की क्षमता का निर्धारण है। क्रेडिट रेटिंग का मुख्य उद्देश्य उधार देने वाले को उधार लेने वाले की भुगतान क्षमता का मूल्यांकन प्रस्तुत करना है
भारत में प्रमुख क्रेडिट एजेंसी (Major Credit Agency in India )
- CRISIL क्रेडिट रेटिंग इंफॉर्मेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
- ICAR इन्वेस्टमेंट इनफार्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया लिमिटड़।
- CARE क्रेडिट एनालिसिस एंड रिसर्च लिमिटेड।
विश्व की तीन प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है
- स्टैंडर्ड एंड पुअर्स
- मूडीज
- फिच CRIB
वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद ( Financial sustainability and development council )
वित्तीय स्थिरता बनाए रखने, अंतर्विनियामक समन्वय को बढ़ाने और वित्तीय क्षेत्रक विकास के उत्थान के लिए तंत्र के सुदृढ़ीकरण तथा संस्थानीकरण के उद्देश्य, सरकार ने जी 20 पहल की रूपरेखा पर, दिसंबर 2010 में एक स्तरीय वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद की स्थापना की।
परिषद के अध्यक्ष वित्त मंत्री है और क्षेत्र विनियामक प्राधिकरण के प्रमुख ,वित्त सचिव या सचिव आर्थिक कार्य विभाग, सचिव वित्तीय सेवाएं विभाग और मुख्य आर्थिक सलाहकार इसके सदस्य है ।परिषद अर्थव्यवस्था के वृहत विवेकाधीन पर्यवेक्षण को मॉनिटर करती है यह वित्तीय शिक्षा तथा वित्तीय समावेशन पर भी ध्यान देती है ।
राजीव गांधी इक्विटी योजना ( Rajiv Gandhi Equity Scheme )
सरकार ने 3 नवंबर 2012 को राजीव गांधी इक्विटी बचत योजना नामक एक नई कर योजना अधिसूचित की जो अन्य रूप से प्रतिभूति बाजार में नए खुदरा निवेशकों के लिए है। यह योजना नए निवेशक जो 50000 तक निवेश करते हैं और जिनकी वार्षिक आय 1000000 से कम है का उस वर्ष के लिए कर योग्य आय में निवेशीत राशि की 50% कर छूट उपलब्ध कराती है। सेबी द्वारा परिचालन दिशा निर्देश 6 नवंबर 2012 को जारी किए गए
राजीव गांधी इक्विटी योजना के प्रमुख बिंदु
अनुमत कर छूट आयकर अधिनियम की धारा 80(ग) के तहत स्वीकृत अनुमत रुपए एक लाख की सीमा से अतिरिक्त होगी। निवेशकों के लिए 50% कर छूट के अलावा लाभांश भी कर मुक्त
Stock Exchange Important Facts –
- भारत की GDP की गणना के दौरान विदेशों में काम करने वाले भारतीयों की आय की गणना भारत की GDP में नहीं की जाती है।
- इस आय को हम उसी देश के GDP में गणना करेंगे जहाँ वह काम कर रहा होता है, जबकि विधिक रूप से वह भारतीय है।