सरंचना एवं संसाधन
आर्थिक विकास में आधारभूत संरचना की महत्वपूर्ण भूमिका होती है आधारभूत संरचना में जो क्षेत्र समृद्ध होते हैं उनका विकास तेज गति से होता है आधारभूत संरचना को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है
पहला भाग आधारभूत ढांचागत संरचना है इस में परिवहन विद्युत संचार को सम्मिलित किया जाता है इसके अलावा सिंचाई भी आधारभूत ढांचागत संरचना का भाग है क्योंकि कृषि विकास सिंचाई पर निर्भर है
आधारभूत संरचना का दूसरा भाग आधारभूत सामाजिक संरचना है इसमें प्रमुख रूप से मानव संसाधन विकास को सम्मिलित किया जाता है
राजस्थान का विकास के मामले में अग्रणी राज्य नहीं होने का कारण आधारभूत संरचना का अभाव है बिना आधारभूत संरचना के विकास का पहिया नहीं घूम सकता है राजस्थान सरकार आर्थिक विकास में आधारभूत संरचना की महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए इसके विकास पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं राजस्थान की पंचवर्षीय योजनाओं में और वार्षिक योजनाओं में वित्तीय संसाधनों का बड़ा भाग आधारभूत संरचना पर खर्च किया जा रहा है जैसे जैसे राजस्थान में आधारभूत संरचना की स्थिति सुधर रही है वैसे वैसे राजस्थान आर्थिक विकास में आगे बढ़ रहा है राजस्थान में आधारभूत संरचना विशेष रूप से परिवहन ऊर्जा सिंचाई संचार और मानव संसाधन की स्थितियां निम्नलिखित है
1 परिवहन
2 ऊर्जा
3 सिंचाई
4 संचार
5 मानव संसाधन
1 परिवहन
आर्थिक विकास में परिवहन का महत्वपूर्ण स्थान है औद्योगिक विकास के लिए परिवहन आवश्यक है परिवहन के साधनों से सभी क्षेत्रों के विकास को गति मिलती हैं परिवहन की प्राकृतिक आपदाओं के समय में अत्यधिक उपयोगिता है युद्ध के समय परिवहन के साधनों की महत्व और अधिक बढ़ जाती है परिवहन का सांस्कृतिक महत्व है राजस्थान की योजनाबद्ध विकास में परिवहन विकास पर ध्यान दिया गया है राजस्थान में विगत कुछ वर्षों में परिवहन के क्षेत्र में प्रगति की है
परिवहन में मुख्यतः सड़क रेल और वायु यातायात को सम्मिलित किया जाता है
सड़क परिवहन
महानगर और बड़े शहर सामान्यतया रेल और वायु यातायात से जुड़े होते हैं किंतु गांव के परिवहन का साधन मुख्य रूप से सड़के ही है गांव में सड़कों का महत्व मानव शरीर में शिरा और धमनियों की भांति है राजस्थान में जनसंख्या का बड़ा भाग गांव में जीवन व्यतीत करता है राज्य के गांव में जहां-जहां सड़के पहुंची हैसमृद्धि स्वतः ही नजर आने लगी है सड़कों के विकास के बिना गांव अधूरे दिखते हैं सड़कों के अभाव में गांव का सामाजिक विकास गति नहीं पकड़ पाता है वर्तमान में राजस्थान के गांव में सड़कों का जाल बिछा नजर आने लगा है
राज्य में सड़क परिवहन की प्रकृति को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है
1 यातायात विकास परियोजना खर्च- राजस्थान की योजनाबद्ध विकास में यातायात विकास पर खर्च में वृद्धि की गई वर्तमान में सड़क परिवहन राज्य सरकार का महत्वपूर्ण प्राथमिकता वाला विकास शीर्ष है
2 सड़कों का विकास- योजनाबद्ध विकास में यातायात खर्च में वृद्धि से सड़क परिवहन का विकास हुआ है राजस्थान में डामर की सड़कों की लंबाई 1950- 51 में 17339 किलोमीटर थी जो बढ़कर मार्च 2016 तक सड़कों की लंबाई 2,17;707•25 किलोमीटर हो गई। इन सड़कों में राष्ट्रीय राजमार्ग राज्य राजमार्ग मुख्य जिला शहर के अन्य जिला सड़क एवं ग्रामीण सड़कें सम्मिलित हैं
3 राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम- राजस्थान सरकार का सार्वजनिक क्षेत्र का प्रमुख प्रतिष्ठान है एक वैधानिक नियम के रूप में इसकी स्थापना सन 1 अक्टूम्बर1964(जयपुर ) में हुई यह निगम स्थापना के समय से ही यात्री यातायात के क्षेत्र में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है।*
4 प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-(PMGSY)- देश के सभी गांव को बारहमासी सड़कों से जोड़ने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री द्वारा 25 दिसंबर 2000 को प्रधानमंत्री “ग्राम सड़क योजना” घोषित की गई इसके अंतर्गत 1991 की जनगणना के अनुसार 1027 से अधिक आबादी वाले गांवों को वर्ष 2003 तक तथा 500 से 1000 आबादी वाले सभी गांव को 2007 तक सड़कों से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जनजातीय क्षेत्रों में ढाई सौ की आबादी वाले गांव को सड़कों से जोड़ने की योजना है
5 राजस्थान रोड विजन-2025
राजस्थान में सड़क तंत्र के कायापलट के लिए राजस्थान रोड विजन 2025 तैयार किया गया सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा 21वी सदी के पहले 25 साल में राज्य में सड़कों के विकास के लिए यह दीर्धावधि “विजन” तैयार किया गया इसमें सड़कों के विकास के साथ-साथ सड़कों के रखरखाव और सड़कों की गुणवत्ता पर बल दिया गया रोड विजन 2025 में पहले 15 साल में सभी गांवों को सड़कों से जोड़ने के बाद अगले 10 साल में एक्सप्रेस में फ्लाईओवर 4 लेन के राजकीय मार्ग पर जोर दिया गया इस विषय में धार्मिक महत्व के स्थानों पर्यटन का नाम और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए नए सड़क संपर्क विकसित करना जरूरी माना गया है
सड़क परिवहन के संबंध में राजस्थान को “मॉडल स्टेट” माना जाता है राजस्थान में परिवहन व्यवस्था कार्यविधि अनुकरणीय है
6 राजस्थान राज्य मार्ग अधिनियम 2016- विधानसभा द्वारा पारित कर दिया गया जो 8 मई 2015 से लागू किया गया
7 राजस्थान राज्य राजमार्ग विकास परियोजना- राज्य में राज्य राजमार्गों को पीपीपी एन्यूटी के आधार पर विकसित करने हेतु इस परियोजना का निर्माण किया गया
8 मुख्यमंत्री सड़क योजना- यह योजना 7 अक्टूबर 2005 को शुरू की गई योजना में राज्य में प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों को जोड़ने हेतु 1000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हो रहा है प्रत्येक जिले में एक आदर्श सड़क मॉडल रोड का विकास किया गया है
9 ग्रामीण गौरव पथ योजना- वर्ष 2014 15 मई योजना प्रारंभ की गई इस योजना के तहत आगामी 3 वर्षों में पंचायत मुख्यालय में 0•5 से 2 किलोमीटर की एक सड़क को ग्रामीण गौरव पथ के रूप में विकसित किया जाना है
10 सार्वजनिक निजी सहभागिता(PPP) बेल्ट ऑपरेट एंड ट्रांसफर(BOT)-
आगामी 5 वर्षों में पीपीपी के माध्यम से 20,000 किलोमीटर राज्य उच्च मार्ग को विकसित किया जाएगा
निगम ने परिचालकों को स्वायत्तता देना तथा आय में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए मेरी “बस मेरा रुठ योजना “लागू की जा रही है
11 राजस्थान सड़क क्षेत्र आधुनिकरण परियोजना- विश्व बैंक वर्ष 2013 14 में विश्व बैंक वित्त पोषित यह नवीन परियोजना प्रारंभ की गई थी
12 राजस्थान राज्य सड़क विकास एवं निर्माण निगम लिमिटेड(राजस्थान स्टेट रोड डेवलपमेंट एंड कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड-RSRDCC)- राजस्थान स्टेट ब्रिज लिमिटेड स्थापना एक सार्वजनिक कंपनी के रूप में 1979 को हुई थी 2001 को नाम परिवर्तित कर राजस्थान सड़क विकास एवं निर्माण निगम कर दिया गया इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य आधुनिक पुलों सड़कों तथा भवनों के निर्माण को करना
रेल परिवहन
स्वतंत्रता से पूर्व राजस्थान में रेलमार्गों का विकास बहुत कम था थोड़ा-बहुत रेल मार्गों का विकास जयपुर रियासत बीकानेर रियासत जोधपुर रियासत तथा उदयपुर रियासत में हुआ था डूंगरपुर बांसवाड़ा जैसलमेर रियासत रेल मार्गों से जुड़ी हुई नहीं थी स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने रेल विकास का काम हाथ में लिया वर्तमान में रेल परिवहन भारत सरकार का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है प्रत्येक वर्ष संसद में रेल मंत्री के द्वारा रेल बजट पेश किया जाता है राजस्थान में रेल विकास का दायित्व भारत सरकार पर है
- रेलवे को हमारे संविधान में संघ सूची का विषय बनाया गया
- राजस्थान में वर्तमान में दो रेलवे जोन व पांच मंडल कार्यालय भारत में 17 रेलवे जोन है
- उत्तर पश्चिम रेलवे- 2002 को राजस्थान में बनाया गया नया रेलवे जोन इसका मुख्यालय जयपुर में स्थित है जिसमें राज्य के चार रेल मंडल जयपुर अजमेर बीकानेर जोधपुर शामिल किए गए
- पश्चिमी मध्य रेलवे जोन- राज्य का कोटा मंडल इस जोन के अंतर्गत आता है पश्चिम मध्य रेलवे जोन का मुख्यालय जबलपुर में है
- रेल मार्ग की लंबाई की दृष्टि से राजस्थान का भारत में 12 स्थान है
- अप्रैल,1874 में राजस्थान में प्रथम रेल की शुरुआत जयपुर रियासत में आगरा फोर्ट से बांदीकुई के बीच में की गई
- आजादी से पूर्व बीकानेर जोधपुर रियासत में सर्वप्रथम अपने निजी रेलमार्ग स्थापित किए
- राजस्थान में मार्च 2015 तक रेल मार्ग की कुल लंबाई 5898 किलोमीटर हैं,जो देश की कुल लंबाई का 8•93 प्रतिशत है।
- भारतीय रेल अनुसंधान एवं परीक्षण-इस केन्द्र का निर्माण पचपदरा बाड़मेर में किया जा रहा है जहां पर तेज गति से चलने वाली ट्रेनों का परीक्षण किया जाएगा
जयपुर मेट्रो रेल परियोजना –
जयपुर शहर में आवागमन सुविधा बढ़ाने हेतु मेट्रो रेल परियोजना की शुरुआत की गई, राज्य सरकार ने पूर्ण स्वामित्व वाली जयपुर मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड का पंजीकरण 1 जनवरी 2010 को कंपनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत किया गया
शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 27 नवंबर 2015 को जयपुर मेट्रो रेल परियोजना (फेज-1ए) को बेस्ट अरबन मास ट्रांजिट प्रोजेक्ट केटेगरी में “Commedable emerging initiative रूप में विशेष अवार्ड प्रदान किया गया है
सौ साल बाद इतिहास बन गई मीटरगेज लाइन – जयपुर सीकर मीटर गेज की रेल लाइन अब इतिहास बन गई है मीटर गेज लाइन को 15 नवंबर 2016 से बंद कर दिया गया इस लाइन को ब्रॉडगेज लाइन में बदला जा रहा है जयपुर में सौ साल पहले 19 दिसंबर 1916 को यह लाइन शुरू की गई थी इसका उद्घाटन ?लॉर्ड चेम्सफोर्ड? ने किया था
वायु परिवहन
- स्वतंत्रता से पहले राजस्थान में वायु परिवहन का विकास नहीं के बराबर था राजस्थान में केवल जोधपुर में हवाई अड्डे था जो दिल्ली और कराची से जुड़ा था
- वर्ष 1947 में बीकानेर जोधपुर वायु सेवा प्रारंभ हुई स्वतंत्रता के बाद 1953 में वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण किया गया
- देश में वायु परिवहन का संचालन नागर विमानन विभाग करता है देश में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस की प्रमुख सेवाएं हैं
- आर्थिक उदारीकरण के बाद वायु परिवहन में निजी सेवाओं की भूमिका भी बढ़ गई है पिछले कुछ दशकों में राजस्थान वायु परिवहन में पिछड़ा हुआ था किंतु वर्तमान में वायु परिवहन के क्षेत्र में राजस्थान की स्थिति में सुधार आ रहा है
- भारतीय संविधान में वायु परिवहन को संघ सूची का विषय बनाया गया है
- राजस्थान में वर्तमान में कुल 10 एयरपोर्ट एवं 27 हवाई पट्टी है
- वायुमार्गों एवं आवश्यक सुविधाओं के विकास का दायित्व पूर्णता केंद्रीय सरकार के नियंत्रण में है
- जैसलमेर में राज्य का पांचवा सिविल एयरपोर्ट बनाया जा रहा है
- बाड़मेर में उत्तर लाई वायुसेना हवाई अड्डा एवं बीकानेर में लाल हवाई अड्डा है जो भूमिगत सैनिक हवाई अड्डा है
- जयपुर में स्थित हवाई अड्डे को 29 दिसंबर 2005 को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा दिया गया है
- यह देश का 14वाँ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा हो गया।
- 20 दिसंबर 2006 को नागर विमानन निगम की स्थापना राज्य में की गई
- उड़े देश का आम नागरिक योजना- वसुंधरा राजे ने दिल्ली जोधपुर मुंबई एवं दिल्ली जयपुर उदयपुर औरंगाबाद मुंबई सेक्टर की बंद विमान सेवाओं को बहाल करने की मांग रखी
2 ऊर्जा
- ऊर्जा महत्वपूर्ण आधारभूत संरचना है अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्र जैसे कृषि उद्योग परिवहन सामाजिक विकास आदि क्षेत्र विकास के लिए ऊर्जा पर निर्भर हैं क्षेत्र विशेष का विकास ऊर्जा बिना संभव नहीं है
- ऊर्जा के लिए परंपरागत और गैर परंपरागत स्रोत होते हैं
- परंपरागत स्रोतों में जल विद्युत थर्मल विद्युत एवं ऊर्जा सम्मिलित की जाती है
- ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों में बायोगैस सौर ऊर्जा पवन ऊर्जा आदि प्रमुख है
- राजस्थान_सरकार अर्थव्यवस्था में ऊर्जा की महत्ता और उदारीकरण के कारण औद्योगिक विकास में वृद्धि की संभावनाओं को दृष्टि में रखकर ऊर्जा विकास के लिए प्रयत्नशील है राजस्थान की गिनती हो जाए छेत्र में आर्थिक सुधारों को लागू करने के मामले में देश के अग्रणी राज्य में होती हैं
- राजस्थान_में विद्युत क्षेत्र सुधार अधिनियम 1999 लागू किया गया। राजस्थान राज्य विद्युत मंडल घाटे से ग्रसित होने के कारण 1999 में समाप्त कर दिया गया
- राजस्थान में सन 2000 में 5 स्वतंत्र कंपनियां गठित की गई नई कंपनियों में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड राज्य में विद्युत उत्पादन योजनाओं क्रियान्वयन,संचालन एवं रखरखाव करती है
- अन्य कंपनी राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड राज्य में प्रसारण तंत्र का निर्माण एवं संचालन करती है
- बिजली वितरण के लिए तीन कंपनियां यथा जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड तथा जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड है यह तीनों कंपनियां अपने अपने क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से विद्युत वितरण का कार्य संचालित करती है
विद्युत विकास पर योजना परिव्यव-
राजस्थान में ऊर्जा की कमी और आर्थिक विकास में विद्युत की महत्ता को ध्यान में रखते हुए पंचवर्षीय योजनाओं में पूजा पर भारी वित्तीय संसाधन आवंटित किए गए पंचवर्षीय योजनाओं की प्राथमिकता में ऊर्जा विकास को सर्वोच्च स्थान दिया गया।
? पहली पंचवर्षीय योजना के कुल योजना विकास 2•3% प्रतिशत भाग ऊर्जा विकास पर खर्च किया गया,ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में कुल योजना वे का ऊर्जा विकास पर भी बढ़कर 36% हो गया
प्रमुख विद्युत परियोजनाएं-
योजनाबद्ध विकास में राजस्थान में कई विद्युत परियोजना की स्थापना की गई राजस्थान में दो प्रकार की विद्युत परियोजनाएं हैं एक राज्य की स्वयं की स्वामित्व वाली परियोजना है इनमें सुपर थर्मल तापीय विद्युत परियोजना कोटा, सूरतगढ़ ताप बिजली परियोजना, छाबड़ा तापीय विद्युत परियोजना,माही जल विद्युत परियोजना है तथा अन्य आंशिक स्वामित्व वाली परियोजना हैं जिनसे राजस्थान को विद्युत प्राप्त होती हैं इनमें चंबल परियोजना,व्यास परियोजना,भांगड़ा परियोजना,सतपुड़ा परियोजना प्रमुख है
राजस्थान परमाणु शक्ति परियोजना एक महत्वपूर्ण परियोजना है? जिसके अंतर्गत रावतभाटा में परमाणु संयंत्र स्थापित किया गया अन्य ऊर्जा परियोजना में अन्ता विद्युत परियोजना (गैस आधारित) है। ऊर्जा उत्पादन के प्रति सरकार अत्यधिक प्रयत्नशील है।
- राजस्थान में 12वीं पंचवर्षीय योजना के अनुसार ऊर्जा क्षेत्र का कुल व्यय 37•46%, 2वीं पंचवर्षीय योजना में कुल व्यय 72,723•25 करोड रुपए रहा है।
- LED और ऊर्जा संरक्षण मिशन-2015
- राजस्थान सौर ऊर्जा नीति 2014-उद्देश्य 25000 मेगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता की स्थापना को मूर्त रूप प्रदान करने हेतु
- अल्ट्रा सौर परियोजना-2014 सांभर, राजस्थान में 19000 एकड़ में फैला विश्व का सबसे बड़ा एकल स्थल सौर संयंत्र स्थापित किया जा रहा है 4000 मेगावाट का है
- 18 जुलाई 2012 को राज्य सरकार ने नई पवन ऊर्जा नीति 2012 जारी की यह 18 जुलाई 2012 से लागू की गई
- सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए 19 अप्रैल 2011 को राज्य की पहली सौर ऊर्जा नीति मंजूर की गई “राजस्थान सौर ऊर्जा नीति लागू करने वाला देश का पहला राज्य” बन गया।
- राज्य में प्रथम सौर ऊर्जा पार्क भादला(जोधपुर) में स्थापित किया जा रहा है
ऊर्जा के स्रोत ऊर्जा प्राप्ति के स्रोतों को दो भागो में बांटा जा सकता है
1. परंपरागत स्रोत-
- A. जल विद्युत
- B. तापीय विद्युत-कोयला,गैस,तेल आदि
- C. आणविक ऊर्जा
2. गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोत-
- A. सौर ऊर्जा-सूर्य की ऊर्जा से उत्पन्न ऊर्जा
- B. पवन ऊर्जा तेज चलने वाली हवा से उत्पन्न ऊर्जा
- C. बायोगैस जानवरों के मल मूत्र से वायु रहित अवस्था में अपघटन से प्राप्त ऊर्जा
- D. ज्वारीय तरंग ऊर्जा समुद्री ज्वार भाटा एवं तरंगों से उत्पन्न ऊर्जा
- E. भूतापीय ऊर्जा-पृथ्वी के निकलने वाले गरम स्त्रोतों की उष्मा से उत्पन्न ऊर्जा।
राज्य में गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोतों के विकास हेतु वर्तमान में राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम( राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी कारपोरेशन)कार्यरत हैं जिसका गठन 9 अगस्त 2002 को राजस्थान ऊर्जा विकास अभिकरण(REDA), राजस्थान स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड(RSPCL)को मिलाकर किया गया था जिसका मुख्यालय जयपुर में है
- 1957 को राजस्थान राज्य विद्युत मंडल की स्थापना की गई
- रेडा (REDA-Rajasthan energy Development Agency)- इसकी स्थापना 21 जनवरी 1985 को की गई,इसका प्रमुख उद्देश्य गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के विकास एवं गैर परंपरागत ऊर्जा उपकरणों को बढ़ावा देना है
- राजस्थान स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड(RSPCL) – स्थापना 1995 में की गई परंपरागत ऊर्जा संसाधनों से ऊर्जा उत्पादन संयंत्रों की स्थापना इसका प्रमुख उद्देश्य हैं
राज्य की ताप विद्युत परियोजनाएं
सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन-
(सूरतगढ़) गंगानगर के निकट ठुकराना गांव के समीप प्रभात नगर में स्थित है राज्य का पहला सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट है ढाई सौ मेगावाट की छोटी इकाई का शिलान्यास 9 जनवरी 2007 को किया गया सुपर थर्मल पावर प्लांट की क्षमता 15 मेगावाट है
- कोटा सुपर थर्मल विद्युत परियोजना (राज्य का दूसरा सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट)
- गिरील ताप विद्युत परियोजना-गिरिल (Barmer)
- थुम्बली गांव, शिव,बाड़मेर राजस्थान राज्य का पहला लिग्नाइट गैस करण तकनीक पर आधारित विद्युत गृह।
- छाबड़ा थर्मल पावर प्रोजेक्ट -ग्राम चौकी मोतीपुरा छबड़ा बारां
- बरसिंगसर थर्मल पावर प्रोजेक्ट – (बरसिंगसर) बीकानेर
- भादेसर(बाड़मेर) लिग्नाइट आधारित सुपर पावर प्रोजेक्ट
राज्य की गैस व तरल ईंधन आधारित परियोजनाएं
रामगढ़ गैस विद्युत परियोजना- रामगढ़,(जैसलमेर) यह परियोजना राज्य द्वारा संचालित प्रथम गैस आधारित विद्युत परियोजना है जिसकी क्षमता 113•5 मेगावाट है इस परियोजना को गैस आपूर्ति गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (GAIL)द्वारा की जाएगी
➡ झामरकोटड़ा(उदयपुर )
➡ गैस विद्युत परियोजना बारा राजस्थान यह राजस्थान में स्थअंताापित प्रथम किस विद्युत परियोजना है NTPC द्वारा संचालित
1 आणविक विद्युत परियोजना
- राजस्थान परमाणु शक्ति गृह रावतभाटा चित्तौड़- स्थापना सन 11 अगस्त 1972 में कनाडा के सहयोग से राज्य का प्रथम बार देश का दूसरा परमाणु संयंत्र है
- दूसरा परमाणु संयंत्र बांसवाड़ा में प्रस्तावित है
- देश में कुल 21 परमाणु संयंत्र हैं
- 21वां परमाणु संयंत्र कुडनकुलम तमिलनाडु में स्थित है
- परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना 1948 में की गई
2 सौर ऊर्जा
- राज्य_में सौर ऊर्जा संयंत्र- जैसलमेर
- राज्य_का पहला गांव जहां संपूर्ण विद्युत सौर ऊर्जा से प्राप्त की जा रही है – नया गांव (जयपुर)
- राज्य_का पहला सौर ऊर्जा से चलित रेफ्रीजिरेटर- बालेसर (जोधपुर)
- राज्य का प्रथम सौर ऊर्जा आधारित विद्युत संयंत्र – मथानिया (जोधपुर)
- राजस्थान सौर ऊर्जा नीति -19 अप्रैल 2011
3 पवन ऊर्जा
- पवन ऊर्जा के उत्पादन के क्षेत्र में राज्य का चौथा स्थान है भारत में सर्वाधिक पवन ऊर्जा का उत्पादन तमिलनाडु में है
- राज्य की पहली पवन ऊर्जा योजना-अमरसागर (जैसलमेर) स्थापना राजस्थान स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड प्रतापगढ़ द्वारा ।
4 बायो गैस/गोबर गैस
- सर्वाधिक बायोगैस संयंत्र- उदयपुर
- पशुओं की पर्याप्त मात्रा होने से अधिक संभावना
5 बायोमास ऊर्जा
- अपशिष्ट कचरा कृषि अपशिष्टों से विद्युत का उत्पादन किया जाता है बायोमास कहलाता है
- राजस्थान में बायोमास ऊर्जा के महत्वपूर्ण स्रोत सरसों की तूड़ी या विलायती बबूल है
- राज्य में पहला बायोमास ऊर्जा आधारित संयंत्र- पदमपुर गंगानगर
6 भू-तापीय ऊर्जा
राज्य में माउंट आबू में अधिक संभावना है।
3 सिंचाई
?राजस्थान कृषि प्रधान राज्य है यहां के अधिकांश लोग जीवन स्तर के लिए कृषि पर निर्भर हैं कृषि विकास सिंचाई पर निर्भर करता है राजस्थान के पश्चिमी भाग में मरुस्थल है मानसून के आने के कारण “कृषि मानसून का जुआ है” जैसी बात कई बातें चरितार्थ होती है हरित क्रांति और कृषि क्षेत्र की आधुनिक प्रौद्योगिकी का लाभ सिंचाई द्वारा ही संभव है इसीलिए राजस्थान में सिंचाई के साधनों के विकास की महत्ती आवश्यकता है
सिंचाई के स्रोत
- राजस्थान की सिंचाई के प्रमुख साधनों में नहरें,तालाब कुऐं,नलकूप है कुऐं,नलकूप सिंचाई के सर्वोत्तम साधन है इनके द्वारा फसलों में आवश्यकतानुसार पानी दिया जा सकता है कुआं और नलकूप द्वारा सिंचाई के लिए पानी का मीठा होना,जल स्तर का गहरा नहीं होना तथा उपजाऊ भूमि का होना आवश्यक है
- नहरों द्वारा जल का सबसे अधिक उपयोग होता है राज्य में सतत प्रवाही नदियों के अभाव में नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र कम है राज्य के दक्षिणी पूर्वी,पठारी एवं पथरीलें द्वारा तलाबों द्वारा सिंचाई की जाती है
- राजस्थान की बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं को आधुनिक भारत के मंदिर संज्ञा दी गई है।
4 संचार
संचार आधारभूत संरचना का महत्वपूर्ण भाग है वर्तमान में आर्थिक विकास में संचार की भूमिका बढ़ गई है देश में डाक एवं दूरसंचार सेवाओं का तीव्र गति से विकास हुआ है सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वृद्धि और विकास में संचार क्षेत्र में क्रांति ला दी हैं संचार सुविधाओं के विकास में सार्वजनिक क्षेत्र के साथ निजी क्षेत्र उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे हैं।
राजस्थान में डाक सेवा का पर्याप्त विकास हुआ है राज्य में औसतन 33 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में एक डाकघर स्थापित हैं इसके अलावा प्रति डाकघर औसतन 5404 व्यक्तियों को सेवाएं प्राप्त हो रही हैं राजस्थान में डाक एवं दूरसंचार सेवा में डाकघर,तार कार्यालय, टेलीफोन एक्सचेंज, लोकल पीसीओ, एसटीडी/पीसीओ, ग्रामीण पीटी,इंटरनेट सेवा आदि सम्मिलित है।संचार के अन्य साधनों में टेलीविजन रेडियो टेलीग्राफ टेलीग्राम टेलेक्स कंप्यूटर लैपटॉप आदि है।।
5 मानव संसाधन
आर्थिक विकास में सामाजिक आधारभूत संरचना की भूमिका बढ़ गई है इसमें मानव संसाधन संरचना अधिक महत्वपूर्ण है इसके अलावा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य परिवार कल्याण, जलापूर्ति, आवास, समाज कल्याण जनजाति, क्षेत्रीय विकास, महिला एवं बाल विकास और कल्याणकारी गतिविधियां भी सामाजिक आधारभूत संरचना के अंग है।
राजस्थान_में मानव संसाधन विकास की स्थिति सुधारवादी चरण में है राजस्थान में साक्षरता दर 1991 में 38•6% थी जो 2001 में बढ़कर 60•4% हो गई इस प्रकार 1991-2001 के दशक में राजस्थान की साक्षरता दर में 21•8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
राजस्थान_के मानव संसाधन विकास में प्रारंभिक शिक्षा एवं साक्षरता, माध्यमिक शिक्षा,उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा ,औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान ,संस्कृत शिक्षा विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है
राजस्थान_में 2005-06 में 56573 प्राथमिक स्कूल, 28955 उच्च प्राथमिक स्कूल, 11199 उच्च माध्यमिक विद्यालय थे, राज्य में 2006-07 में 1090 उच्च शैक्षणिक संस्थानों तथा 21 राष्ट्रीय महत्व के विश्वविद्यालय तथा डीम्ड विश्वविद्यालय थे।
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