Structures and resources राजस्थान की आधारभूत-संरचना एवं संसाधन
संसाधन ( Resources) :-
हमारे पर्यावरण में उपलब्ध हर वह वस्तु जो हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये इस्तेमाल की जा सकती है जिसे बनाने के लिए हमारे पास प्रौद्योगिकी है और जिसका इस्तेमाल सांस्कृतिक रूप से मान्य है., उसे संसाधन कहते हैं।
संसाधन के प्रकार ( Types of resources ):-
संसाधन को विभिन्न आधारों पर विभिन्न प्रकारों में बाँटा जा सकता है; जो नीचे दिये गये हैं
A.उत्पत्ति के आधार पर ( On the basis of origin )-: जैव और अजैव संसाधन ( Bio and Abiotic Resources )
B.समाप्यता के आधार पर ( On the basis of termination )-: नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य संसाधन ( Renewable and non-renewable resources)
C.स्वामित्व के आधार पर( On the basis of ownership)-: व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संसाधन
D.विकास के स्तर के आधार पर:- संभावी, विकसित भंडार और संचित कोष
उत्पत्ति के आधार पर संसाधन के प्रकार ( Types of Resources based on Origin ):-
- जैव संसाधन:-जो संसाधन जैव मंडल से आते हैं उन्हें जैव संसाधन कहते हैं उदाहरण:- मनुष्य, वनस्पति, मछलियाँ, प्राणिजात, पशुधन, आदि।
- अजैव संसाधन: जो संसाधन निर्जीव पदार्थों से आते हैं उन्हें अजैव संसाधन कहते हैं। उदाहरण: मिट्टी, हवा, पानी, धातु, पत्थर, आदि।
ऊर्जा ( Energy )
किसी भी देश के आर्थिक विकास में ऊर्जा ( Energy) एक महत्वपूर्ण संसाधन है। भारत में विद्युत का विकास उन्नीसवीं सदी के अंत में शुरू हुआ।
- जब देश का पहला जल विद्युत गृह 1897 में दार्जिलिग में सिदापोंग में स्थापित किया गया।
- 1909 में कर्नाटक में शिव समुद्रम में पनबिजली केंद्र ने कार्य प्रारंभ किया।
- बिजली आपूर्ति अधिनियम 1948 में पारित किया गया।
- संविधान में विद्युत को समवर्ती सूची में स्थान दिया गया है।
राजस्थान निर्माण के समय 15 छोटे विद्युत गृह थे जिनकी कुल स्थापित विद्युत क्षमता मात्र 13.27 मेगावाट थी।
राजस्थान_में विद्युत विकास हेतु 1 जुलाई 1957 को राजस्थान राज्य विद्युत मंडल की स्थापना के साथ प्रारंभ हुए।
राजस्थान देश का पहला राज्य है जिसने अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगी निविदा के आधार पर विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आशय पत्र जारी किए।
देश में ऊर्जा क्षेत्र सुधार कार्यक्रम के लिए केंद्र सरकार द्वारा विद्युत नियामक आयोग अधिनियम 1998 बनाया गया।
राजस्थान_विद्युत नियामक आयोग( Rajasthan Electricity regulatory Commission) का गठन 2 जनवरी 2000 को किया गया। जिस के प्रथम अध्यक्ष श्री अरुण कुमार थे।
राजस्थान_सरकार ने राजस्थान विद्युत क्षेत्र सुधार अधिनियम 1999 पारित करवाया जो 1 जून 2000 से लागू किया गया। राज्य सरकार द्वारा राज्य में विद्युत तंत्र के सुधार एवं उपभोक्ता को विद्युत आपूर्ति उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दिनांक 19 जून 2000 को 5 विद्युत कंपनियों का गठन किया गया था।
अक्षय ऊर्जा ( Akshay Energy )
माह दिसम्बर 2017 की स्थिति निम्न है-
- सौर ऊर्जा – 2258.50 मेगावॉट के सौर ऊर्जा संयंत्र अधिष्ठापित हो चुके है।
- पवन ऊर्जा- 4292.5 मेगावाट के पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित हो चुके है।
- बायोमास ऊर्जा – 120. 45 मेगावाट के 13 जैविक द्रव्य ऊर्जा संयंत्र स्थापित हो चुके है।
विद्युतीकृत गांवों की संख्या- 43264
विद्युत (Electricity )–
राज्य में दिसम्बर 2017 तक विद्युत की अधिष्ठापित क्षमता 19536. 77 मेगावाट होगयी है। मार्च 2012 में विद्युत की उपलब्धता 5005.38 करोड युनिट थी जो कि बढकर मार्च 2017 तक 6922.10 करोड युनिट हो गयी।
2011 – 12 से 2016-17 तक कुल ऊर्जा उपलब्धता में 38.29%की वृद्धि हुई जबकि कुल शुद्ध ऊर्जा उपभोग में भी 49.33%की वृद्धि हुई।
नवगठित 5 कंपनियां:-
- राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड। (RVUNL). मुख्यालय: जयपुर।
- राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (RVPNL)।
- जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड(JVVNL) मुख्यालय: जयपुर ।
- अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (AVVNL) मुख्यालय: अजमेर
- जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JVVNL) मुख्यालय: जोधपुर।
जयपुर, अजमेर एवं जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की परियोजनाएं
1. उज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना ( उदय) –
भारत सरकार द्वारा राज्य की विद्युत वितरण कंपनियों के परिचालन और वित्तीय रूप से दक्षता में सुधार लाने के उद्देश्य से उज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना को आरंभ किया गया औसत तकनीकी व वाणिज्य की हानि के आधार पर डिस्कॉम के संचालन व वित्तीय भार को कम करने एवं प्रति यूनिट खर्च व राजस्व प्राप्ति के अंतर को कम करने के उद्देश्य से ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 20 नवंबर 2015 को उदय योजना अधिसूचित की गई
राजस्थान सरकार द्वारा उदय योजना के अंतर्गत 27 जनवरी 2016 को किए गए एम ओ यू के अनुसार 30 सितंबर 2015 को बकाया ॠण राशि के 75%भार का 2 वर्षों के लिए 50% वित्तीय वर्ष 2015 -16 एवं 25% 2016-17 में वहन किया जाना है
2. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के लिए प्रस्तावित प्रमुख योजनाएं हैं
- 3000 से अधिक एवं 4000 से कम आबादी वाले गांवों के लिए अलग से 3 फेज फीडर लगाना
- उप हस्तानांतरण एवं वितरण प्रणाली का सुदृढ़ीकरण करना
- दोषपूर्ण सीटर मीटरिंग उपकरणों का प्रतिस्थापन
- ग्रामीण विद्युतीकरण कार्य -राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना का को दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सम्मिलित कर दिया गया है
3. बिजली सबके लिए योजना
सभी ग्रामीण घरेलू उपभोक्ता जो कि दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में शामिल नहीं है उनके लिए प्रत्येक ग्रामीण उपखंड पर 19 जून 2016 के बाद( प्रत्येक माह के पहले और तीसरे रविवार को) विद्युत कनेक्शन उपलब्ध करवाने के लिए शिविर आयोजित किए गए हैं
इस योजना के अंतर्गत 24147 BPL और 49488 एपीएल घरेलू कनेक्शन जारी किए जा चुके हैं
4. मुख्यमंत्री ग्रामीण घरेलू कनेक्शन योजना
गैर आबाद एवं छितराई हुई ढाणियों में घरेलू उपभोक्ताओं को विद्युत उपलब्ध करवाने हेतु अक्टूबर 2016 से मुख्यमंत्री ग्रामीण घरेलू कनेक्शन योजना आरंभ की गई इसके प्रथम चरण में नवंबर 2016 तक इच्छुक ग्रामीणों से सो रुपए पंजीकरण राशि जमा करके उनको इस योजना में शामिल किया गया है
5. मुख्यमंत्री विद्युत सुधार अभियान
राज्य में मुख्यमंत्री विद्युत सुधार अभियान योजना क्रमशः ग्रामीण एवं कृषि उपभोक्ताओं को भरोसेमंद, गुणवत्ता एवं व्यवधान रहित बिजली उपलब्ध कराने के साथ विद्युत संबंधी समस्याओं का त्वरित समाधान करने हेतु एवं सुरक्षित बिजली देने एवं विद्युत दरों पर नियंत्रण रखते हुए और तकनीकी एवं वाणिज्य हानि के स्तर को 15% तक लाने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई है
6 उन्नति ज्योति अफोर्डेबल LED फॉर ऑल (उजाला) योजना
देश में ऊर्जा दक्षता का संदेश प्रसारित करने के प्रयास में भारत सरकार ऊर्जा सक्षम उपकरणों यथा LED, बल्ब यू ट्यूब लाइट और पंखे के उपयोग को बढ़ावा दे रही है योजना के प्रथम चरण में 7 वाट LED आधारित ऊर्जा सक्षम कार्यक्रम जोकि घरेलू सक्षम प्रकाश कार्यक्रम के नाम से जाना जाता है
को जनवरी 2015 में प्रारंभ किया गया था राजस्थान में इस कार्यक्रम के अंतर्गत मई 2015 से मई 2016 की अवधि में राज्य के सभी जिलों की 21लाख से अधिक उपभोक्ताओं को 1.16 करोड़ 7 वाट LED का वितरण किया गया है
7. एलईडी लाइट प्रोजेक्ट
राजस्थान में स्ट्रीट लाइट के क्षेत्र में ऊर्जा बचत करने के लिए एनर्जी सेविंग प्रोजेक्ट तैयार किया गया इसका मुख्य उद्देश्य सड़कों पर प्रकाश की मात्रा में वृद्धि करना व विद्युत उपयोग उपभोग में कमी करना है
66 निकायों में कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है एवं 23 निकायों में कार्य प्रगति पर है राजस्थान में दिसंबर 2016 तक 5, 88,264 LED लाइट लगाई गई है भारत में सर्वाधिक LED स्ट्रीट लाइट लगाने में राजस्थान प्रथम स्थान पर है
ऊर्जा पुरस्कार ( Energy awards )
1. राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार 2016 –भारत सरकार द्वारा राजस्थान को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार 2016 का प्रथम पुरस्कार LED लाइट प्रोजेक्ट के लिए दिनांक 14 दिसंबर 2016 को ऊर्जा संरक्षण दिवस के समारोह के दौरान नई दिल्ली में दिया गया
2. ऊर्जा संरक्षण में जयपुर डिस्कॉम को राष्ट्रीय पुरस्कार- एनर्जी सेविंग परियोजना में देश में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार( नेशनल ऊर्जा कंजर्वेशन अवार्ड 2016) दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने प्रदान किया ऊर्जा संरक्षण दिवस पर नई दिल्ली में ऊर्जा मंत्रालय की ओर से 14 दिसंबर 2016 को भी समारोह में जयपुर डिस्कॉम को सामान्य श्रेणी में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिया गया एनर्जी सेविंग परियोजना के तहत देश में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर राज्य स्तरीय ऊर्जा संरक्षण 2016पुरस्कार स्वायत शासन विभाग को जयपुर में प्रदान किया गया
3. जयपुर में उत्तर पश्चिमी रेलवे को मिले चार पुरस्कार- 14 दिसंबर 2016 को ऊर्जा मंत्रालय राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार 2016 में उत्तर पश्चिमी रेलवे को चार पुरस्कार प्राप्त हुए हैं
4. मेट्रो को राजस्थान ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार- जयपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को राजकीय विभाग श्रेणी में बिजली बचत के नए प्रयोग के लिए राजस्थान ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार 2016 मिला
सडक परिवहन ( Road transport )
राज्य में 1949 में मात्र 13553 किमी लम्बाई की सडकें थी जो मार्च 2017 तक बढकर 226853. 86 किमी हो गयी। राज्य में सडकों का घनत्व मार्च 2017 तक 66.29 प्रति 100 वर्ग किमी है। राज्य में दिसंबर 2017 तक 159.31 लाख मोटर वाहन पंजीकृत है जो पिछले वर्ष से 6.91% ज्यादा है।
2017- 18 मे 4050 करोड राजस्व लक्ष्य के विरुद्ध दिसम्बर 2017 तक 2839.34 करोड का राजस्व अर्जिक किया गया जो लक्ष्य का 70.11% है।
रेलवे ( Railway )
मार्च 2015 में रेलवे मार्ग की कुल लम्बाई 5898 किलोमीटर थी जो कि मार्च 2016 तक 5893 किलोमीटर हो गयी। भारतीय रेल मार्ग का 8.84% रेलमार्ग राजस्थान में है।
डाक एवं दूरसंचार सेवाएं ( Postal and telecommunication services )
मार्च 2017 तक राज्य में कुल डाकघरों की संख्या 10311 और टेलीफोन एक्सचेंजों की संख्या 2057 है।
मानव साधन ( Human Resource )
कोई भी व्यक्ति और उसकी विशेष क्षमताओं और कौशल जो संगठन के लिए सबसे बड़ा और सबसे लंबा स्थाई लाभ बनाता है| इसीलिए इसे सबसे महत्वपूर्ण संस्था माना जाता है|
मानव संसाधन ( human resource) वह अवधारणा है जो जनसंख्या को अर्थव्यवस्था पर दायित्व से अधिक परि संपत्ति के रूप में देखती है। शिक्षा प्रशिक्षण और चिकित्सा सेवाओं में निवेश के परिणाम स्वरूप जनसंख्या मानव संसाधन के रूप में बदल जाती है।
मानव संसाधन ( human resource ) उत्पादन में प्रयुक्त हो सकने वाली पूँजी है। यह मानव पूँजी कौशल और उन्में निहित उत्पादन के ज्ञान का भंडार है। यह प्रतिभाशाली और काम पर लगे हुए लोगों और संगठनात्मक सफलता के बीच की कड़ी को पहचानने का सूत्र है।
यह उद्योग/संगठनात्मक मनोविज्ञान और सिद्धांत प्रणाली संबंधित अवधारणाओं से संबद्ध है। मानव संसाधन की संदर्भ के आधार पर दो व्याख्याएं मिलती हैं।
इसका मूल अर्थराजनीतिक अर्थव्यवस्था और अर्थशास्त्र से लिया गया है जहां पर इसे पारंपरिक रूप से उत्पादन के चार कारको में से एक श्रमिक कहा जाता था यद्धपि यह दृष्टिकोण राष्ट्रीय स्तर पर नए और योजनाबद्ध तरीकों में अनुसन्धान के चलते बदल रहा है।
[1] पहला तरीका अधिकतर ‘मानव संसाधन विकास (Human Resource Development )‘ शब्द के रूप में प्रयुक्त होता है और यह सिर्फ संगठनों से शुरू हो कर राष्ट्रीय स्तर तक हो सकता है।
पारम्परिक रूप से यह कारपोरेशन व व्यापार के क्षेत्र में व्यक्ति विशेष (जो उस फर्म या एजेन्सी में कार्य करता है) के लिए, तथा कंपनी के उस हिस्से को जो नियुक्ति करने, निकालने, प्रशिक्षण देने तथा दूसरे व्यक्तिगत मुद्दों से सम्बंधित है
जिसे साधारणतयाः “मानव संसाधन प्रबंधन” के नाम से जाना जाता है, के लिए होता प्रयुक्त होता है। यह लेख दोनों परिभाषाओं से सम्बंधित है।
विकास :- मानव संसाधनों के विकास का उद्देश्य मानव संसाधन संपन्नता को प्रबुद्ध और एकजुट नीतियों के माध्यमसे शिक्षा, प्रशिक्षण, स्वास्थ्य और रोजगार के सभीस्तरों को कॉर्पोरेट से ले कर राष्ट्रीय स्तर तक बढ़ावा देना है।
प्रबंधन :- मानव संसाधन प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य कंपनी के कर्मचारियों पर हुए निवेश से अधिकाधिक लाभ सुनिश्चित करना तथा वित्तीय जोखिम को कम करना है। एक कंपनी के संदर्भ में मानव संसाधन प्रबंधकों की यह जिम्मेदारी है कि वे इन गतिविधियों का संचालन एक प्रभावशाली, वैधानिक, न्यायिक तथा तर्कपूर्ण ढंग से करें।
मुख्य कार्यमानव संसाधन प्रबंधन निम्न महत्वपूर्ण कार्य करता है:
- नियुक्ति व चयन
- प्रशिक्षण और विकास (लोग अथवा संगठन)
- प्रदर्शन का मूल्यांकन तथा प्रबंधन
- पदोन्नति/ स्थानांतरण
- फालतू कर्मचारियों को हटाना
- औद्योगिक और कर्मचारी संबंध
- सभी व्यक्तिगत आंकड़ों का रिकार्ड रखना
- वेतन तथा उस से संबंधित मुआवजा, पेंशन, बोनस इत्यादि
- कार्य से सम्बंधित समस्याओं के बारे में ‘आंतरिक कर्मचारियों’ को गोपनीय सलाह देना
- कैरियर का विकास
- योग्यता परखना
- मानव संसाधन क्रियाओं से संबंधित समय की गति का अध्ययन करना।
- प्रदर्शन मूल्यांकन आधुनिक विश्लेषण आधुनिक विश्लेषण इस बात पर जोर देता है कि मनुष्य”वस्तु अथवा “संसाधन” नहीं हैं, बल्कि एक उत्पादन संस्था में रचनात्मक और सामाजिक प्राणी हैं।
आईएसओ 9001के 2000 संस्करण का उद्देश्य प्रक्रियाओं के क्रम तथा उनके बीच के संबंधों को पहचानना और उत्तरदायित्वों तथा अधिकारों को परिभाषित करना और बताना है। सामान्यतया, अधिकतर संघीय देशों जैसे फ्रांस Germany और जर्मनी ने इसे अपनाया और ऐसे कार्य विवरणों को विशेष रूप से ट्रेड यूनिअनों में बढ़ावा दिया।
अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने भी 2001 में फिर से मिलना और मानव संसाधन विकास पर 1975 में धारा 150 को संशोधित करना तय किया
[2] इन प्रवृत्तियों का एक नज़रिया राजनीतिक अर्थ-
व्यवस्था पर एक मजबूत सामाजिक आम सहमति कायम करना है और एक अच्छी सामाजिक कल्याण प्रणाली,श्रमिकों की गतिशीलता को सुविधाजनक बनाती है और पूरी अर्थव्यवस्था को और अधिक फलदायक बना देती है
क्योंकि इसकी सहायता से श्रमिक कौशल और अनुभव को विभिन्न रूपों में विकसित कर सकते हैं और उन्हें एक इकाई से दूसरी इकाई में जाने अथवा खुद को माहौल के अनुकूल ढालने में कम दिक्कत या परेशानी का सामना करना पड़ता है।
एक और नज़रिया है कि सरकारों को सभी क्षेत्रों में मानव संसाधन विकास को सुविधाजनक बनाने में अपनी राष्ट्रीय भूमिका के प्रति अधिक जागरूक होना चाहिए।
शिक्षा ( Education )
प्रारम्भिक शिक्षा ( Elementary education)– राज्य में 35664 राजकीय प्रारम्भिक विद्यालय, 20744 राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय और 13983 प्रारम्भिक कक्षाओं वाले माध्यमिक या उच्च माध्यमिक विद्यालय है जिनमे डाइस रिपोर्ट 2016 – 17 के अनुसार 62. 89 लाख विद्यार्थी नामांकित है।
बालिका शिक्षा को बढावा देने के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, मीना मंच, अध्यापिका मंच, शैक्षणिक किशौरी मेले व बालिका शिक्षा हेतु कई नवाचार किये जा रहे है। वर्तमान में 9569 उत्कृष्ट विद्यालय संचालित है।
माध्यमिक शिक्षा (Secondary education )– वर्तमान में 13551 माध्यमिक या उच्च माध्यमिक विद्यालय एवं 134 स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल राज्य में संचालित है। 14388 माध्यमिक या उच्च माध्यमिक विद्यालय निजी क्षेत्र में संचालित है। जिनमे (राजकीय व निजी) 41.31 लाख विद्यार्थी नामांकित है।
उच्च शिक्षा ( Higher education )– वर्तमान में राज्य में 1850 महाविद्यालय है। जिनमे 209 राजकीय महाविद्यालय, 15 राजकीय विधि महाविद्यालय, 1626 निजी महाविद्यालय, 7 स्ववितपोषित संस्थाएं और 6 निजी सहभागिता से स्थापित महाविद्यालय है। तकनीकी शिक्षा में अभियांत्रिकी हेतु 112 संस्थाएं है जो 12 राजकीय व 100 निजी है।
राज्य में पॉलीटेक्निक शिक्षा हेतु 42 राजकीय व 140 निजी कुल 182 महाविद्यालय स्थापित है। चिकित्सा शिक्षा में 16 महाविद्यालय जिनमे 8 राजकीय व 8 निजी क्षेत्र में है। दंत चिकित्सा में 16 महाविद्यालय जिनमें 1 राजकीय व 15 निजी क्षेत्र में है।
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